जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024: कब से शुरू होंगी रथ यात्रा, जानिए सही समय और शुभ मुहूर्त

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024: Bhagwan Jagannath की रथ यात्रा एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है। इस वर्ष, यह भव्य उत्सव 07 जुलाई को शुरू होगा और 16 जुलाई को समाप्त होगा। इस यात्रा में, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा, विशाल और भव्य रथों में सवार होकर पूरे पुरी नगर का भ्रमण करते हैं। यह यात्रा उन्हें उनकी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर तक ले जाती है। 

देश-विदेश से लाखों भक्त इस यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी में एकत्रित होते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानेंगे की Jagannath Rath Yatra कब है, शुभ तिथि और मुहूर्त क्या है. 

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024 | Jagannath Rath Yatra 2024 Date

हिंदू पंचांग के अनुसार, Bhagwan Jagannath Rath Yatra आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है। यह परंपरागत रूप से एक नौ दिवसीय उत्सव है जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। इस साल, यह पवित्र यात्रा 07 जुलाई को शुरू होगी और 16 जुलाई को समाप्त होगी।

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जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का शुभ समय और मुहूर्त

Jagannath Rath Yatra का शुभारंभ 07 जुलाई को सुबह 08:05 बजे होगा और 09:27 बजे तक चलेगा। इसके बाद, दोपहर 12:15 बजे से 01:37 बजे तक यात्रा का दूसरा चरण शुरू होगा। शाम को, 04:39 बजे से 06:01 बजे तक यात्रा का अंतिम चरण आयोजित किया जाएगा। इस प्रकार, पूरे दिन तीन अलग-अलग समय पर रथ यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जो भक्तों को अपने आराध्य देवता के दर्शन करने का अद्भुत अवसर प्रदान करेगा।

रथ यात्रा का क्रम | Sequence Of Rath Yatra

  • बलराम जी का रथ (तालध्वज): लाल और हरे रंग का यह रथ सबसे पहले निकलता है।
  • देवी सुभद्रा का रथ (दर्पदलन या पद्म रथ): काले या नीले और लाल रंग का यह रथ बीच में निकलता है।
  • भगवान जगन्नाथ का रथ (नंदीघोष या गरुड़ध्वज): लाल और पीले रंग का यह रथ सबसे पीछे निकलता है।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का महत्व | Jagannath Rath Yatra Ka Mahatva

स्कंद पुराण के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने और गुंडिचा नगर में भगवान जगन्नाथ का नाम जपने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह वार्षिक जुलूस न केवल आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक है, बल्कि भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति भी करता है। जो कोई भी रथ यात्रा में शामिल होता है और भगवान का नाम जपता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। इस प्रकार, Jagannath Rath Yatra आध्यात्मिक उन्नति, मुक्ति और भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। यह पवित्र यात्रा भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा संजोए गए गहन आध्यात्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का इतिहास | Jagannath Rath Yatra Ka Itihas

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के समय से मानी जाती है, जब उन्होंने अपनी बहन सुभद्रा और बलराम जी को रथ पर बिठाकर रथ यात्रा निकाली थी। इस परंपरा का उल्लेख 12वीं शताब्दी के साहित्य में मिलता है, और 15वीं शताब्दी में राजा कपिल देव ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाकर इस यात्रा को और भी भव्य बनाया। 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने भी इस यात्रा को संरक्षण दिया। आज, Jagannath Rath Yatra भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जो हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करती है। यह यात्रा सदियों से चली आ रही है और आज भी अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

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