एकादशी व्रत किसको करना चाहिए: एकादशी व्रत, भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। हर महीने दो बार आने वाला यह व्रत कई लोगों के लिए आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों का स्रोत है। लेकिन, क्या हर कोई एकादशी व्रत कर सकता है? और एकादशी व्रत करने से क्या लाभ होते हैं? इस लेख में हम एकादशी व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे: कौन कर सकता है, कौन नहीं, क्या फायदे हैं, क्या नियम हैं, और 2024 में एकादशी कब है।
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एकादशी व्रत क्या है | Ekadashi Vrat kya hai
एकादशी, या ग्यारस, हिंदू धर्म में एक पवित्र तिथि है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह तिथि, जो हर महीने दो बार आती है, एकादशी व्रत के लिए प्रसिद्ध है। यह व्रत न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का मार्ग है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो व्यक्ति को अपने आराध्य देव के साथ एक अटूट बंधन बनाने में मदद करती है।
पद्म पुराण में वर्णित है कि भगवान शिव ने स्वयं नारद जी को एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। उनके अनुसार, यह व्रत पूर्वजों को मुक्ति दिलाता है और घर में समृद्धि लाता है।
एकादशी व्रत, जो हिंदू धर्म का एक प्राचीन व्रत है, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। यह व्रत जीवन की बाधाओं को दूर करने और समृद्धि, शांति और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है।
एकादशी व्रत किसको करना चाहिए | Ekadashi vrat kisko karna chahiye
एकादशी व्रत, भगवान विष्णु को समर्पित, एक ऐसा व्रत है जो हर किसी के लिए खुला है। चाहे आप एक छोटा बच्चा हों, एक युवा व्यक्ति हों, या बुजुर्ग, एकादशी व्रत आपकी आध्यात्मिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि, एकादशी व्रत का लाभ उठाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी है। ये नियम व्रत को और अधिक सार्थक बनाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने में मदद करते हैं।
अगर आप एकादशी व्रत करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इन नियमों को समझना ज़रूरी है। ये नियम आपको व्रत को सही ढंग से करने और इसके लाभों को पूरी तरह से प्राप्त करने में मदद करेंगे।
एकादशी व्रत नियम क्या है | Ekadashi Vrat kon rakh sakta hai
एकादशी व्रत के नियमों का पालन करने से, आप इस पवित्र तिथि के आध्यात्मिक लाभों को अधिकतम कर सकते हैं। यहां एकादशी व्रत के कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:
- एकादशी व्रत से एक दिन पहले, मांस, मछली, प्याज, और मसूर की दाल जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- एकादशी की पूर्व संध्या पर, भोग विलास से दूर रहें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- एकादशी के दिन, सूर्योदय से पहले उठें और अपनी दिनचर्या शुरू करें।
- दांत साफ करने के लिए लकड़ी के दातुन का उपयोग न करें। नींबू, जामुन, या आम के पत्तों का उपयोग करें, या अपनी उंगलियों से दांत साफ करें। ध्यान रखें कि इस दिन किसी भी पेड़ की पत्तियों को तोड़ना वर्जित है, इसलिए गिरी हुई पत्तियों का ही उपयोग करें।
- स्नान करते समय साबुन का उपयोग न करें।
- स्नान के बाद, मंदिर जाएं और गीता का पाठ करें। आप किसी पंडित से भी गीता का पाठ सुन सकते हैं।
- गीता पाठ के बाद, सच्चे मन से “ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु का स्मरण करें और प्रार्थना करें।
- यथाशक्ति दान करें।
- एकादशी का दूसरा दिन द्वादशी के नाम से जाना जाता है। द्वादशी के दिन, सुबह जल्दी नहाकर भगवान विष्णु की पूजा करें, सामान्य सात्विक भोजन करें, और गंगाजल और तुलसी ग्रहण करें।
- द्वादशी के दिन, ब्राह्मणों को मिष्ठान आदि की दक्षिणा दें। यह ध्यान रखें कि द्वादशी का कार्य रोदसी आने से पहले ही पूरा हो जाना चाहिए।
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एकादशी व्रत किसे नहीं करना चाहिए
एकादशी व्रत, भले ही बहुत सारे लाभों से भरपूर हो, सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। संतों के अनुसार, बीमार लोग या बुजुर्ग जिनको किसी प्रकार की तकलीफ है, उन्हें एकादशी व्रत नहीं करना चाहिए। यह समझदारी की बात है क्योंकि उपवास रखने से उनकी स्थिति और खराब हो सकती है। ऐसे लोगों के लिए, फलहार से उपवास रखना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
हालांकि, एक बार अगर आप एकादशी व्रत शुरू कर देते हैं, तो उसे बीच में छोड़ना पाप माना जाता है। इसलिए, अगर आप एकादशी व्रत रखने का फैसला करते हैं, तो उसे पूरा करने की कोशिश करें। यदि आप इसे पूरा नहीं कर सकते, तो बेहतर है कि आप इसे शुरू ही न करें। यह नियम व्रत की पवित्रता और सम्मान को बनाए रखने के लिए है।
एकादशी व्रत लिस्ट 2024 PDF | Ekadashi Vrat Katha PDF
तिथि | एकादशी का नाम | दिन |
21 जनवरी | पौष पुत्रदा एकादशी, बैकुंठ एकादशी | रविवार |
06 फरवरी | षटतिला एकादशी | मंगलवार |
20 फरवरी | जया एकादशी | मंगलवार |
06 मार्च | विजया एकादशी | बुधवार |
07 मार्च | वैष्णव विजया एकादशी | बृहस्पतिवार |
20 मार्च | आमलकी एकादशी | बुधवार |
05 अप्रैल | पापमोचिनी एकादशी | शुक्रवार |
19 अप्रैल | कामदा एकादशी, वैष्णव कामदा एकादशी | शुक्रवार |
04 मई | बरूथिनी एकादशी | शनिवार |
19 मई | मोहिनी एकादशी | रविवार |
02 जून | अपरा एकादशी | रविवार |
03 जून | वैष्णव अपरा एकादशी | सोमवार |
18 जून | निर्जला एकादशी | मंगलवार |
02 जुलाई | योगिनी एकादशी | मंगलवार |
17 जुलाई | देवशयनी एकादशी | बुधवार |
31 जुलाई | कामिका एकादशी, पद्मिनी एकादशी, परम एकादशी | बुधवार |
16 अगस्त | श्रावण पुत्रदा एकादशी | शुक्रवार |
29 अगस्त | अजा एकादशी | बृहस्पतिवार |
14 सितम्बर | परिवर्तिनी एकादशी, गौण परिवर्तिनी एकादशी, वैष्णव परिवर्तिनी एकादशी | शनिवार |
28 सितम्बर | इन्दिरा एकादशी | शनिवार |
13 अक्टूबर | पापांकुशा एकादशी | रविवार |
28 अक्टूबर | रमा एकादशी | मंगलवार |
12 नवम्बर | देवुत्थान एकादशी, गुरुवायुर एकादशी | मंगलवार |
26 दिसम्बर | उत्पन्ना एकादशी, वैष्णव उत्पन्ना एकादशी | बृहस्पतिवार |
27 दिसम्बर | वैष्णव उत्पन्ना एकादशी | शुक्रवार |
11 दिसम्बर | मोक्षदा एकादशी | बुधवार |
26 दिसम्बर | गौण मोक्षदा एकादशी, वैष्णव मोक्षदा एकादशी, वैकुण्ठ एकादशी | बृहस्पतिवार |