गंगा दशहरा पर क्या दान करना चाहिए 2024: इस साल 16 जून 2024 को गंगा दशहरा मनाया जाएगा, जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आती है। यह दिन Maa Ganga Ki Puja और पवित्र स्नान के लिए समर्पित है, जिससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस लेख में हम Ganga Dussehra Daan के महत्व, मंत्रों के जाप और शुभ फलों के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से कैसे व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है।
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गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त | Ganga Dussehra 2024
इस वर्ष Ganga Dussehra 16 जून 2024 को मनाया जाएगा, जो पवित्र स्नान और दान के लिए शुभ दिन है। गंगा स्नान का शुभ समय सुबह 7:08 बजे से 10:37 बजे तक रहेगा। इस समय गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
Ganga Dussehra 2024: कब है पवित्र स्नान का दिन? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
गंगा दशहरा पर क्या दान करना चाहिए Ganga Dussehra Daan
- गंगा दशहरा के दिन गंगा माता की पूजा के साथ ही दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
- इस दिन जरूरतमंद लोगों को सफेद कपड़े दान करना विशेष रूप से शुभ होता है।
- सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक है और ऐसा माना जाता है कि सफेद कपड़े दान करने से व्यक्ति के जीवन से परेशानियां और दुख दूर होते हैं।
- Ganga Dussehra के दिन अन्न का दान भी किया जा सकता है।
- अन्न दान करने से व्यक्ति के धन में वृद्धि होती है और इसे पुण्य का कार्य माना जाता है।
- इसके अलावा Ganga Dussehra के दिन चीनी और सोना दान करना भी लाभकारी माना जाता है।
- चीनी दान करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि मिलती है और सोना दान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- इस प्रकार गंगा दशहरा के दिन दान करने से व्यक्ति को न केवल धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि उसके जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता भी आती है।
गंगा दशहरा पर जपें ये मंत्र
1. | ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नमः।। |
2. | गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि।मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं सगच्छति। तीर्थराजाय नमः |
3. | गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।। |
गंगा स्त्रोत का पाठ | Ganga Stotram Ka Path
“गंगा स्तोत्र” एक पवित्र संस्कृत Stotra है जो भगवान शिव के जल से पवित्र गंगा नदी की महिमा का गुणगान करता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना आदि शंकराचार्य ने की थी और इसका पाठ करने से मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है।
श्री गंगा जी की स्तुति
ॐ नमः शिवायै गङ्गायै शिवदायै नमो नमः।
नमस्ते विष्णुरुपिण्यै, ब्रह्ममूर्त्यै नमोऽस्तु ते॥
नमस्ते रुद्ररुपिण्यै शाङ्कर्यै ते नमो नमः।
सर्वदेवस्वरुपिण्यै नमो भेषजमूर्त्तये॥
सर्वस्य सर्वव्याधीनां, भिषक्श्रेष्ठ्यै नमोऽस्तु ते।
स्थास्नु जङ्गम सम्भूत विषहन्त्र्यै नमोऽस्तु ते॥
संसारविषनाशिन्यै, जीवनायै नमोऽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै, प्राणेश्यै ते नमो नमः॥
शांतिसन्तानकारिण्यै नमस्ते शुद्धमूर्त्तये।
सर्वसंशुद्धिकारिण्यै नमः पापारिमूर्त्तये॥
भुक्तिमुक्तिप्रदायिन्यै भद्रदायै नमो नमः।
भोगोपभोगदायिन्यै भोगवत्यै नमोऽस्तु ते॥
मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु स्वर्गदायै नमो नमः।
नमस्त्रैलोक्यभूषायै त्रिपथायै नमो नमः॥
नमस्त्रिशुक्लसंस्थायै क्षमावत्यै नमो नमः।
त्रिहुताशनसंस्थायै तेजोवत्यै नमो नमः॥
नन्दायै लिंगधारिण्यै सुधाधारात्मने नमः।
नमस्ते विश्वमुख्यायै रेवत्यै ते नमो नमः॥
बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु लोकधात्र्यै नमोऽस्तु ते।
नमस्ते विश्वमित्रायै नन्दिन्यै ते नमो नमः॥
पृथ्व्यै शिवामृतायै च सुवृषायै नमो नमः।
परापरशताढ्यायै तारायै ते नमो नमः॥
पाशजालनिकृन्तिन्यै अभिन्नायै नमोऽस्तुते।
शान्तायै च वरिष्ठायै वरदायै नमो नमः॥
उग्रायै सुखजग्ध्यै च सञ्जीवन्यै नमोऽस्तु ते।
ब्रह्मिष्ठायै ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः॥
प्रणतार्तिप्रभञ्जिन्यै जग्मात्रे नमोऽस्तु ते।
सर्वापत् प्रति पक्षायै मङ्गलायै नमो नमः॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि! नारायणि ! नमोऽस्तु ते॥
निर्लेपायै दुर्गहन्त्र्यै दक्षायै ते नमो नमः।
परापरपरायै च गङ्गे निर्वाणदायिनि॥
गङ्गे ममाऽग्रतो भूया गङ्गे मे तिष्ठ पृष्ठतः।
गङ्गे मे पार्श्वयोरेधि गंङ्गे त्वय्यस्तु मे स्थितिः॥
आदौ त्वमन्ते मध्ये च सर्वं त्वं गाङ्गते शिवे!
त्वमेव मूलप्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि।
गङ्गे त्वं परमात्मा च शिवस्तुभ्यं नमः शिवे।।