Ganga Dussehra Shubh Yog 2024: गंगा दशहरा शुभ योग में स्नान करने के 5 नियम जाने

Ganga Dussehra Shubh Yog 2024: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि जो इस बार 16 जून को आ रही है, उसे Ganga Dussehra के रूप में मनाया जाता है। यह पवित्र दिन गंगा नदी के अवतरण का प्रतीक है और इस दिन गंगा स्नान, ध्यान और मां गंगा और भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है। इस बार Ganga Dussehra 2024 पर अमृत सिद्धि समेत कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी खास बना रहे हैं।

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गंगा दशहरा शुभ योग 2024 | Ganga Dussehra Shubh Yog 2024 

हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल Ganga Dussehra 16 जून 2024 को मनाया जाएगा। इस पावन दिन पर हजारों श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान ध्यान कर मां गंगा और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। इस बार गंगा दशहरा पर अमृत सिद्धि समेत कई योग बन रहे हैं।

  • अमृत ​​सिद्धि योग: सुबह 5:23 बजे से 11:13 बजे तक अमृत सिद्धि योग गंगा स्नान और ध्यान को और भी फलदायी बनाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • वरियान योग: अमृत सिद्धि योग के साथ ही रात 9:03 बजे तक वरियान योग भी रहेगा। इस योग में गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • रवि योग: पूरे दिन रहने वाला रवि योग गंगा दशहरा के पवित्र स्नान और ध्यान को स्वास्थ्यवर्धक बनाता है। यह योग शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

गंगा स्नान के 5 नियम | Ganga Snan Ke 5 Niyam

  • स्नान से पहले: गंगा में स्नान करने से पहले सामान्य पानी से अच्छी तरह नहा लें। साबुन से बचें: गंगा नदी में नहाते समय साबुन या अन्य सफाई पदार्थों का उपयोग न करें। 
  • डुबकी: गंगा में सिर्फ डुबकी लें, अपने शरीर से गंदगी हटाने के लिए साबुन का उपयोग न करें। 
  • प्राकृतिक सुखाने: गंगा स्नान के बाद शरीर को कपड़े से न सुखाएं, पानी को प्राकृतिक रूप से सूखने दें। 
  • पवित्रता का ध्यान: महिलाओं को अस्वच्छ परिस्थितियों में गंगा में स्नान करने से बचना चाहिए।

गंगा दशहरा पर करें इन चीजों का दान

पवित्रता और दान का पर्व Ganga Dussehra न केवल आत्मिक शुद्धि का अवसर है, बल्कि जरूरतमंदों की सेवा का भी अवसर है। इस दिन शास्त्रों में वर्णित कलश दान की परंपरा का पालन करते हुए एक लोटा जल या शर्बत का दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ मास की चिलचिलाती धूप में शास्त्रों द्वारा विहित छाता, जूते, चप्पल और टोपी का दान सूर्य से सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त करता है और पुण्य का मार्ग खोलता है। इस पर्व पर सत्तू, रसदार फल और मौसमी फल, चटनी और कलेजी का दान जरूरतमंदों को ताज़गी और पोषण प्रदान करता है, जिससे दान के माध्यम से पवित्रता, दया और सेवा का संदेश फैलता है। गंगा दशहरा दान के माध्यम से मानवता के प्रति समर्पण और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

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