आपके मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा की आरती क्या होती है। इसको पढ़ने, सुनने से क्या होता है। तो हम आपको बताते है की आरती क्या होती है। विशेष कर हनुमान जी की आरती (Hanuman ji ki aarti) के बारे में आपके मन का confusion दूर करेंगे। जब भी किसी पूजा का समापन करते है उस Time आरती करना आवश्यक होता है। यानि आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। भगवान के लिए अपना आदर भाव प्रकट करते हुए गुणगान करना ही आरती है।
हनुमान जी बड़ी श्रद्धा से श्री रामजी की आरती कर हर संकट से पार हो जाते है तो हम उस रामभक्त Hanuman ji ki aarti का गुणगान करेंगे तो हनुमानजी खुश होकर मनोकामना पूरी करेंगे। सभी कष्ट दूर करेंगे। आरती करने से आत्म बल बढ़ता है । आपके जीवन में लगातार परेशानियां आ रही हो तो हनुमानजी की पूजा आरती सहित करने से संकट टलने के साथ ही मन को शांति मिलती है, negative शक्तियां हमेशा के लिए दूर हो जाती है।
हनुमान जी की आरती विधि
- हनुमान जी की आरती पंचमुखी दीपक में घी या कपूर से की जानी चाहिए।
- Hanuman ji ki aarti की थाली में कुमकुम एवम लाल फूल रखने चाहिए। लाल फूल नहीं होने पर गेंदे के फूल रखना चाहिए। कुमकुम और लाल फूल हनुमानजी को प्रिय है। हनुमानजी की पूजा के samay गेंदे की माला धारण करानी चाहिए।
- हनुमान जी की आरती को चार बार उनके चरणो में घुमाना चाहिए, फिर उनकी नाभि के पास दो बार, उसके बाद उनके मुखारबिंद Face के सामने आरती को घुमाने के बाद उनके पूरे शरीर पर सात बार आरती करनी चाहिए।
- दीपक या कपूर की आरती के बाद जल से आरती की जाती है तथा जल आरती के बाद जल स्वयं तथा सभी जगह छिड़का जाता है।
- आरती हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए। विपरीत दिशा वाली आरती अमंगल कारी होती है।
- आरती के बाद हनुमान जी को आरती प्रदान कर स्वयं को आरती लेना hanuman ji का आशीर्वाद होता है।
- आरती लेने के बाद पूजा के समय evm आरती में रखे चने , गुड़ एवम फल का प्रसाद स्वयं को लेना चाहिए।
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श्री हनुमान जी की आरती लिखित में | Hanuman ji ki Aarti lyrics in Hindi
श्री हनुमान जी की घी या कपूर एवम जल से घुमाना ही पूरी आरती सम्पूर्ण नही मानी जाती है। Shree hanumam ji ki aarti lyrics में विशेष इसलिए भी है की हनुमान जी को अपने स्वयं की शक्तियों power याद नहीं रहती इसलिए इनके power को श्रद्धा से गुणगान के साथ याद दिलाने से अपने में एक चमत्कारिक अनुभूति के साथ हनुमान जी अपनी मनोकामना पूर्ण करते है।
तो आइए हम आपको श्री हनुमान जी की आरती लिखित में क्या है यह बताना जरूरी समझते है । इस आरती से hanuman ji का गुणगान करते हुए अपने जीवन को success कर सकते है।
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ।।
हनुमान जी की आरती का अर्थ व अनुवाद
आप सब जानते है की जब तक किसी को भी सही तरह से समझ नहीं लेते तब तक उस काम में इंटरेस्ट नहीं आता है। जिस काम में interest नहीं आता तब तक उस काम को अच्छी तरह से नहीं कर सकते है। हनुमान जी की आरती का अर्थ मालूम नही होगा तब तक श्रद्धा भाव से आरती करना संभव नही होगा। बिना भाव से की हुई आरती से हनुमान जी को खुश करना मुश्किल है।
इसलिए हनुमान जी की आरती का अर्थ आपको बता कर हम आपको पूरे interest से आरती करवा कर हनुमान जी का प्रिय बनाने का प्रयास कर रहे है।
आरती कीजे हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
अर्थ: हम सभी हनुमान की आरती करते हैं। वे दुष्टों का संहार करने वाले और श्रीराम के परम भक्त हैं।
जाके बल से गिरिवर कांपै,
रोग दोष जाके निकट न झांकै।
अर्थ: हनुमान जी की शक्ति से बड़े-बड़े पर्वत तक कांप जाते हैं। उनकी कृपा से किसी भी प्रकार का रोग या मन का कोई दोष हमारे पास भी नही आ सकता है।
अंजनि पुत्र महा बलदाई,
संतन के प्रभु सदा सहाई।
अर्थ: माता अंजनी ने महा बलशाली पुत्र को जन्म दिया है जो संतो एवम हनुमानजी के भक्तो के हमेशा सहायक रहे हैं।
दे बीरा रघुनाथ पठाये,
लंका जारि सिया सुधि लाई।
अर्थ: श्रीराम ने माता सीता का पत्ता लगाने का महान कार्य दिया था जिसे उन्होंने रावण की नगरी लंका को जलाकर माता सीता का पता लगाकर आए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।
अर्थ: लंका सौ योजन समुद्र की दूरी पर थी परन्तु पवन पुत्र हनुमानजी ने उसे पार करने में ज्यादा समय नही लगाया।
Hanuman Chalisa Anuvad | हनुमान चालीसा का अनुवाद
लंका जारि असुर संहारे,
सीता रामजी के काज संवारे।
अर्थ: हनुमानजी ने लंका को जलाकर वहां के राक्षसों का नाश कर दिया। ऐसा करके उन्होंने माता सीता व श्रीराम के कार्य को सहज और सरल बना दिया।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आनि संजीवन प्राण उबारे।
अर्थ: जब मेघनाद के शक्तिबाण से लक्ष्मण मूर्छित अवस्था में पड़े थे तब हनुमान जी ने बहुत ही कम समय में संजीवनी बूटी लाकर उनके प्राणों की रक्षा की थी।
पैठि पाताल तोरि जम कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे।
अर्थ: जब अहिरावण श्रीराम व लक्ष्मण को पाताल लोक ले कर चला गया तब हनुमानजी ने ही अहिरावण की भुजा को उखड़कर वध किया था।
बायें भुजा असुर दल मारे,
दाहिने भुजा संत जन तारे।
अर्थ: हनुमान जी अपने बांए हाथ से राक्षसों का संहार करते हैं तो दाहिने हाथ से संतजनों का भला करते हैं। Hanuman ji की प्रतिमा में अपने दाएं हाथ से आशीर्वाद देते एवम बाएं हाथ में दुष्टों के लिए गदा रखते है।
सुर नर मुनिजन आरती उतारें,
जय जय जय हनुमान उचारें।
अर्थ: सभी देवता, मनुष्य, ऋषि-मुनि आपकी ही आरती करते हैं एवम सदा आपकी जय- जयकार करते हैं।
हनुमान जी की आरती का मतलब
कंचन थार कपूर की बाती,
आरति करत अंजना माई।
अर्थ: चांदी की थाली में कपूर एवम बाती से अंजनी माता पूरे स्नेह के साथ आपकी आरती करती हैं।
जो हनुमानजी की आरती गावै,
बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै।
अर्थ: जो भक्तगण सच्चे मन से हनुमान जी की आरती का गान करते हैं, वे बैकुण्ठ में जाकर अमरत्व प्राप्त करते हैं।
लंका विध्वंस किये रघुराई,
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।
अर्थ: श्रीराम ने सम्पूर्ण लंका को नष्ट कर रावण सहित समस्त राक्षसों का नाश कर दिया है। तुलसीदास जी उनकी कीर्ति का गुणगान कर स्वयं को आनंदित महसूस करते हैं।
आरती कीजे हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
अर्थ: हम सभी हनुमान की आरती करते हैं। वे दुष्टों का संहार करने वाले और श्रीराम के परम भक्त हैं।
FAQ’s
Q. हनुमान जी की आरती के रचयिता कोन है?
Ans. Hanuman ji ki aarti के रचयिता स्वामी रामानंद है। मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के महान संत ने रामभक्ति की धारा प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाई। उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार का श्रेय स्वामी रामानंद को ही जाता है।
Q. हनुमान जी की प्रतिमा के तेज को कौन कम कर सकता है?
Ans.हनुमान जी की प्रतिमा में बहुत तेज होने के कारण प्रतिमा का FACE गांव या घर के सामने नहीं होता है। यदि उनके मुंह के सामने घर या बस्ती हो तो प्रतिमा या मंदिर के सामने माता अंजनी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। माता को सामने देखकर हनुमान जी वात्सल्यता के कारण शीतल बन जाते है।