हनुमान जी की कथा:- हनुमान जी की कहानी के बारे में एक प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण कहानी है। हनुमान जी हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महान देवता हैं। उन्हें मारुति या वायुपुत्र के नाम से भी जाना जाता है। Hanuman Ji की कहानी में उनके बचपन से लेकर रामायण काल तक की घटनाएं शामिल हैं। उनकी अद्भुत शक्ति, वीरता और भक्ति उन्हें प्रेरणा का स्रोत बनाती है।
Hanuman Ji की कहानी अपार शक्ति, संकटमोचन और सद्भावना की प्रेरणा से भरी है। इस कथा को सुनने से मन और आत्मा शुद्ध हो जाती है और उनकी कृपा से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इस लेख में हम जानेंगे कि Hanuman Ji की कहानी क्या है और राम भक्त हनुमान जी की जन्म कथा क्या है।
Table of Contents
हनुमान जी की कथा | Hanuman Ji Ki Katha
केसरी नाम के एक राजा सुमेरु पर्वत पर राज्य करते थे जो सूर्य के वरदान से सोने का बना हुआ था। उनकी पत्नी का नाम अंजना था और वह अत्यंत सुंदर और सुशील थी। एक बार अंजना ने पवित्र स्नान करके सुंदर वस्त्र और आभूषण पहने। उस समय, वायु देवता ने उनके कान में प्रवेश किया और उन्हें आश्वासन दिया, “तुम्हें एक पुत्र प्राप्त होगा जो सूर्य, अग्नि और सोने के समान तेजस्वी होगा, जो वेदों और वेदांगों का विशेषज्ञ होगा और जिसे संसार पूजेगा।” कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात को अंजना ने एक अद्भुत बालक को जन्म दिया, जिसे हम हनुमान के नाम से जानते हैं।
जन्म के दो प्रार्थना के बाद, जैसे ही सूर्य उदय हुआ, बच्चे को भूख लगी। माता अंजना फल लाने गईं, इसी बीच हनुमान ने आकाश में लाल रंग के सूर्य को देखा और उसे फल समझकर उसे पकड़ने के लिए आकाश में छलांग लगा दी। संयोग से उस दिन अमावस्या थी और राहु सूर्य को निगलने आया था। राहु ने जब हनुमान को सूर्य की ओर बढ़ते देखा तो उन्हें दूसरा राहु समझकर डर के मारे भाग गया। तब इंद्र ने हनुमान पर वज्र से प्रहार किया, जिससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई और तभी से वे हनुमान कहलाए।
इंद्र के इस कृत्य से क्रोधित होकर पवनदेव ने संपूर्ण संसार में वायु का संचार रोक दिया। इससे सभी प्राणी त्रस्त होने लगे। तब ब्रह्मा सहित सभी देवताओं ने आकर हनुमान को अनेक वरदान दिए। ब्रह्माजी ने उन्हें अमर जीवन का वरदान दिया। इंद्र ने उन्हें वज्र से न मारे जाने का वरदान दिया। सूर्यदेव ने उन्हें अपने तेज का सौवां भाग प्रदान करने और सभी शास्त्रों का ज्ञाता होने का वरदान दिया। वरुण ने उन्हें पाश और जल से निर्भय होने का वरदान दिया। यमराज ने उन्हें यमदंड और पाश से अजेय होने का वरदान दिया। कुबेर ने उन्हें शत्रु संहारक गदा से निर्भय रहने का वरदान दिया।
भगवान शंकर ने उन्हें पागल और अजेय योद्धाओं पर विजय पाने का वरदान दिया। विश्वकर्मा ने उन्हें माया द्वारा बनाए गए सभी असाध्य और असहनीय अस्त्र-शस्त्रों और यंत्रों से अप्रभावित रहने का वरदान दिया था। इन सभी वरदानों से हनुमानजी अत्यंत शक्तिशाली बन गए और आगे चलकर उन्होंने कई महान पराक्रम किए, जो उनके भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं। हनुमानजी के इन कार्यों का उल्लेख रामायण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण, वायु पुराण और अन्य पूजा-पाठ संबंधी ग्रंथों में मिलता है। इस तरह हनुमानजी ने अपनी अद्वितीय शक्ति और बुद्धि से सभी देवताओं और भक्तों के दिलों में अपना विशेष स्थान बना लिया।
Also Read: हनुमान जी के किस रूप की पूजा सबसे फलदायी है
हनुमान जी की व्रत कथा | Hanuman Ji Ki Vrat Katha
एक समय की बात है, एक ब्राह्मण दंपत्ति थे, जिनके कोई संतान नहीं थी। इस कारण वे दोनों बहुत दुखी रहते थे और संतान प्राप्ति के लिए तरह-तरह की पूजा-अर्चना करते रहते थे। एक दिन ब्राह्मण Hanuman Ji की पूजा करने के लिए वन में गया। वहां उसने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर महावीर हनुमान से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की।
दूसरी ओर, उसकी पत्नी भी संतान प्राप्ति के लिए प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखती थी। वह मंगलवार को पूरा दिन व्रत रखती और Hanuman Ji को भोग लगाकर व्रत समाप्त करती। एक बार मंगलवार को ब्राह्मणी किसी कारणवश भोजन नहीं बना सकी और Hanuman Ji को भोग नहीं लगा सकी। उसने प्रण किया कि अगले मंगलवार को वह Hanuman Ji को भोग लगाने के बाद ही भोजन करेगी।
छह दिन तक भूखी-प्यासी रहने के बाद जब मंगलवार आया तो ब्राह्मणी की हालत बहुत खराब हो गई और वह बेहोश हो गई। उसकी भक्ति और तपस्या को देखकर Hanuman Ji बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने ब्राह्मणी को आशीर्वाद स्वरूप एक पुत्र दिया और कहा, “यह पुत्र तुम्हारी बहुत सेवा करेगा।”
संतान पाकर ब्राह्मणी बहुत प्रसन्न हुई। उसने बालक का नाम ‘मंगल’ रखा। कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर लौटा तो उसने बालक को देखा और पूछा कि यह कौन है। पत्नी ने बताया कि Hanuman Ji ने मंगलवार के व्रत से प्रसन्न होकर उन्हें यह बालक दिया है। ब्राह्मण को अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन मौका पाकर ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया। जब वह घर लौटा तो ब्राह्मण की पत्नी ने पूछा, “मंगल कहां है?” तभी पीछे से मंगल मुस्कुराता हुआ आया। उसे वापस देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित हो गया।
उसी रात Hanuman Ji ने ब्राह्मण के सपने में दर्शन दिए और उसे बताया कि उन्होंने ही उसे यह पुत्र दिया है। सच्चाई जानकर ब्राह्मण बहुत प्रसन्न हुआ और अपनी पत्नी से क्षमा मांगी। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति ने प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखने का निर्णय लिया। जो व्यक्ति मंगलवार व्रत कथा पढ़ता या सुनता है, तथा नियमित रूप से व्रत रखता है, उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं तथा Hanuman Ji की कृपा से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, तथा वह Hanuman Ji की दया का पात्र बन जाता है।