हरतालिका तीज व्रत की पौराणिक कथा, पढ़ने व सुनने वालों की होती है मनोकामना पूरी

हरतालिका तीज व्रत कथा: भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तीज, जिसे हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है, महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस बार हरतालिका तीज व्रत 06 सितंबर को मनाया जाएगा। यह व्रत थोड़ा कठिन माना जाता है, परंतु इस बार Hartalika Teej पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहे हैं, जो महिलाओं के सौभाग्य में वृद्धि करेंगे। तीज के दिन रवि और इन्द्र योग में पूजा होगी, साथ ही चित्रा और स्वाती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। ये शुभ संयोग Hartalika Teej को अत्यंत फलदायी बना रहे हैं।

हरतालिका तीज व्रत कथा | Hartalika Teej Vrat ki kahani in hindi

माता पार्वती का बचपन से ही भगवान शिव से अटूट प्रेम था। वे अपने कई जन्मों से भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बचपन से ही कठोर तपस्या शुरू कर दी। माता पार्वती ने इस तप में अन्न और जल का त्याग कर दिया था। वे मात्र सूखे पत्ते चबाया करती थीं। माता पार्वती की ऐसी हालत को देखकर उनके माता-पिता बहुत दुखी हो गए थे।

एक दिन देवऋषि नारद भगवान विष्णु की तरफ से पार्वती जी के विवाह के लिए प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए। माता पार्वती के माता और पिता को उनके इस प्रस्ताव से बहुत खुशी हुई। उन्होंने इस प्रस्ताव के बारे में मां पार्वती को सुनाया। माता पार्वती इश समाचार को पाकर बहुत दुखी हुईं, क्योंकि वो अपने मन में भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं। उन्होंने अपनी सखी को अपनी समस्या बताई और यह शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

पार्वती जी ने अपनी सखी से कहा कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी। सखी की सलाह पर पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।

कहा जाता है कि जिस कठोर तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पाया, उसी तरह इस व्रत को करने वाली सभी महिलाओं के सुहाग की उम्र लंबी हो और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहे। माना जाता है की जो इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक व्रत करती है, उन्हें इच्छानुसार वर की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज पर गौरा और शिव से अखंड सुहाग की कामना करनी चाहिए और बोलना चाहिए कि भगवान हमें अजर-अमर सुहाग देना।

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हरतालिका तीज व्रत नियम | Hartalika Teej Vrat Niyam

  • इस व्रत को तीज में रखा जाता है, लेकिन इसका पारण चतुर्थी तिथि के सूर्योदय में किया जाता है।
  • अगर आपकी शादी के बाद आपका पहला तीज व्रत है, तो अच्छे से नियम पता कर लें, क्योंकि जिस तरह पहली बार रखेंगी, उसी प्रकार हर साल करना होगा।
  • इस व्रत को एक बार रखा जाता है तो जीवन भर रखना होता है, किसी भी साल इसे छोड़ नहीं सकते हैं।
  • तीज व्रत में अन्न, जल और फल 24 घंटे कुछ नहीं खाना होता है, इस व्रत को पूरी श्रद्धा भाव से करें और भगवान शिव पार्वती का जागरण करें और सोएं नहीं।
  • अगर आप बीमारी या किसी वजह से व्रत छोड़ रही है, तो आपको उदयापन करना होगा या अपनी सास या देवरानी को व्रत देना होगा।

हरतालिका तीज व्रत क्यों रखा जाता है 

हरतालिका तीज, एक ऐसा पर्व जो माता पार्वती के अटूट प्रेम और भगवान शिव के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक है। इस तिथि पर, माता पार्वती की सखी सहेलियों ने उनके पिता के घर से हरण करके जंगल में भगवान शिव की उपासना करने के लिए लेकर गई थीं। वहाँ, माता पार्वती ने कठोर तपस्या करते हुए भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्यवती, जीवन में सुख-सुविधा और संपन्नता का आशीर्वाद लेकर आता है। हरतालिका तीज, प्रेम, निष्ठा और सौभाग्य का प्रतीक, जीवन में खुशहाली और समृद्धि का संदेश देता है।

हरतालिका तीज व्रत तिथि | Hartalika Teej Vrat Date

साल 2024 में हरतालिका तीज का पावन पर्व 6 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि सुबह 6:01 बजे से सुबह 8:32 बजे तक रहेगी, जो पूजा का शुभ मुहूर्त निर्धारित करता है। इस 2 घंटे 31 मिनट के शुभ मुहूर्त में, सुहागिन महिलाएं माता पार्वती की उपासना करके अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे शुरू होकर 6 सितंबर को दोपहर 3:01 बजे समाप्त होगी। इस पावन पर्व पर, भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो।

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