करवा चौथ की कहानी: आज का दिन है करवा चौथ का, एक ऐसा त्योहार जो पति-पत्नी के प्यार और समर्पण का प्रतीक है। चौथ की चांदनी में, सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, और कुंवारी कन्याएं अपने मनचाहे जीवनसाथी की कामना करती हैं।
इस खास दिन की कहानी, जो पीढ़ियों से चली आ रही है, हर दिल को छू लेती है। आज हम आपको करवा चौथ की कथा बताएंगे, जिसमें प्यार, त्याग, और विश्वास की कहानी समाहित है।
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करवा चौथ की कहानी | Karva Chauth Ki Kahani
तुंगभद्रा नदी के किनारे, एक हरे-भरे जंगल में, एक छोटा सा गांव बसा हुआ था। गांव में रहती थीं देवी करवा, अपने पति के साथ। करवा का पति, एक धर्मी और मेहनती किसान था, जो अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था। करवा भी अपने पति से बहुत प्यार करती थी, और उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार थी।
एक दिन, करवा के पति नदी में स्नान करने गए। नदी में स्नान करते समय, उन्हें एक विशाल मगरमच्छ दिखाई दिया। मगरमच्छ ने अचानक पति का पैर पकड़ लिया और उसे नदी में खींचने लगा। पति डर के मारे चिल्लाए, “करवा! बचाओ!”
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करवा ने अपने पति की आवाज सुनी और दौड़कर नदी के किनारे पहुंची। उसने देखा कि उसका पति मगरमच्छ के जबड़े में फंसा हुआ है, और मगरमच्छ उसे पानी में खींचने की कोशिश कर रहा है। करवा का दिल डर से धड़कने लगा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। वह तुरंत एक कच्चा धागा लेकर आई और मगरमच्छ के शरीर को पेड़ से बांध दिया।
करवा का कच्चा धागा मगरमच्छ के शरीर को इतनी मजबूती से बांध गया कि वह टस से मस नहीं हो पाया। लेकिन मगरमच्छ ने भी हार नहीं मानी। वह जोर-जोर से झटके मार रहा था, और करवा के पति को अपनी मौत के करीब ले जा रहा था।
करवा ने देखा कि उसके पति और मगरमच्छ दोनों ही खतरे में हैं। वह समझ गई कि उसे कुछ करना होगा। उसने यमराज को पुकारा, “हे यमराज! कृपया मेरे पति को बचाओ! मगरमच्छ को मार डालो!”
यमराज ने करवा की पुकार सुनी, और उसके सामने प्रकट हुए। उन्होंने कहा, “करवा! तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है। मगरमच्छ की आयु अभी बाकी है। मैं कुछ नहीं कर सकता।” करवा ने यमराज से कहा, “हे यमराज! मेरे पति को बचाओ! अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो मैं आपको शाप दे दूंगी!”
यमराज करवा के सतीत्व और प्रेम से भयभीत हो गए। उन्होंने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। इस घटना के बाद, करवा के पति को पता चला कि उनकी पत्नी ने उन्हें मृत्यु के मुंह से कैसे बचाया। वह अपनी पत्नी के साहस और प्रेम से बहुत प्रभावित हुए।
इस दिन से, करवा के नाम पर करवा चौथ का व्रत मनाया जाने लगा। सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं। वे करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि जैसे करवा माता ने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया था, वैसे ही वे उनके सुहाग की भी रक्षा करें।
करवा चौथ की कथा हमें सिखाती है कि प्रेम और त्याग की शक्ति कितनी बड़ी होती है। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि पति-पत्नी के बीच का प्यार और विश्वास कितना महत्वपूर्ण होता है।