मल्लिकार्जुन मंदिर कहां है: मल्लिकार्जुन मंदिर भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो आंध्र प्रदेश राज्य के श्रीशैलम में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में प्रसिद्ध है। Mallikarjun Mandi का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और यह स्थान तीर्थयात्रियों और भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां साल भर भक्त भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर अपनी अनूठी स्थापत्य शैली, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध है। Mallikarjun Mandi का वातावरण भक्तों को एक अलौकिक अनुभव प्रदान करता है, जहाँ वे अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त कर सकते हैं।
Table of Contents
मल्लिकार्जुन मंदिर कहां है | Mallikarjun Mandir Kahan Hai
मल्लिकार्जुन मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह मंदिर श्रीशैलम पर्वत श्रृंखला पर स्थित है और कर्नाटक का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर भगवान मल्लिकार्जुन (शिव) को समर्पित है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पारंपरिक स्थल है। इसका निर्माण चालुक्य वंश के समय में किया गया था और यह अपने स्थापत्य और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से माघ पूर्णिमा तक ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है और यह बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। यह मंदिर कृष्णा जिले में श्री शैलम पर्वत पर स्थित है, जिसे “दक्षिण का कैलाश” भी कहा जाता है।
Also Read: 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान: ज्योतिर्लिंग का महत्व और सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग कौनसा है
मल्लिकार्जुन मंदिर कैसे पहुंचें | Mallikarjun Mandir Kaise Pahunche
Mallikarjun Mandi तक पहुंचने का सबसे आसान तरीका ट्रेन या बस है। श्रीशैलम रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और आप स्टेशन से टैक्सी या ऑटोरिक्शा भी ले सकते हैं। यदि आप अपनी कार से जा रहे हैं तो आप राष्ट्रीय राजमार्ग 65 के माध्यम से श्रीशैलम जा सकते हैं। श्रीशैलम से Mallikarjun Mandi तक टैक्सी या ऑटोरिक्शा का उपयोग किया जा सकता है।
मल्लिकार्जुन मंदिर दर्शन समय | Mallikarjun Mandir Darshan Samay
मल्लिकार्जुन मंदिर के दर्शन का समय प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे से शुरू होता है और लगभग 10 बजे तक जारी रहता है। मंदिर के दरवाजे पूरे दिन खुले रहते हैं, जिससे भक्त अपने समय के अनुसार मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। श्रीशैलम और इसके आसपास के इलाकों में Mallikarjun Mandi के दर्शन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस मंदिर के दर्शन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यात्रियों को अपनी यात्रा की तारीख और समय सुनिश्चित करने और यात्रा के दौरान अपने सामान को सुरक्षित रखने का ध्यान रखना होगा। Mallikarjun Mandi दर्शन समय के बारे में अधिक जानकारी के लिए, श्रीशैलम पर्यटन विभाग की वेबसाइट या संबंधित तटस्थ सूचना केंद्र पर जाएँ।
मल्लिकार्जुन में घूमने की जगह | Mallikarjun Mein Ghumne Ki Jagah
धार्मिक स्थल | श्री मल्लिकार्जुन मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और मल्लिकार्जुन में देखने के लिए मुख्य आकर्षण है।अक्कमहादेवी गुफा: यह गुफा 12वीं शताब्दी की है और इसमें देवी अक्कमहादेवी की मूर्ति है।त्रिपुरांतक मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और 8वीं शताब्दी का है।पातालगंगा: यह एक पवित्र नदी है जहाँ भगवान शिव ने तपस्या की थी।भेष्मा गुफा: यह गुफा महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा भीष्म पितामह को समर्पित है। |
प्राकृतिक स्थल | कृष्णा नदी: यह नदी मल्लिकार्जुन से होकर बहती है और नौका विहार के लिए लोकप्रिय है।नागार्जुन सागर बांध: यह बांध कृष्णा नदी पर बना है और पिकनिक और ट्रैकिंग के लिए लोकप्रिय है।अट्टाकट्टा झरना: यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।मल्लिकार्जुन वन्यजीव अभयारण्य: यह अभयारण्य हाथियों, बाघों और अन्य वन्यजीवों का घर है। |
ऐतिहासिक स्थल | श्रीशैलम किला: यह किला 12वीं शताब्दी का है और अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है।अक्कमहादेवी समाधि: यह समाधि 12वीं शताब्दी की संत अक्कमहादेवी को समर्पित है। |
अन्य | मल्लिकार्जुन संग्रहालय: यह संग्रहालय मल्लिकार्जुन के इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।श्रीशैलम हस्तशिल्प बाजार: यह बाजार स्थानीय हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह खरीदने के लिए एक शानदार जगह है। |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंत्र | Mallikarjuna Jyotirlinga Mantra
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की महिमा का गुणगान करने वाले कई मंत्र हैं, जिनका जाप भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं। इनमें से कुछ मुख्य मंत्रों का उल्लेख करना बहुत जरूरी है।
- “ओम जय नमः शिवाय मल्लिकार्जुनाय”।
- “ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्”
- “ओम नमः शिवाय मल्लिकार्जुनाय नमः”।
- “ओम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगाय नमः”।
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
मल्लिकार्जुन मंदिर का रहस्य | Mallikarjun Mandir Ka Rahasya
आंध्र प्रदेश में श्रीशैलम पर्वत पर स्थित Mallikarjun Mandi न केवल भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के लिए बल्कि अपने रहस्यमय इतिहास और अद्भुत वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
- स्थापना का रहस्य : मंदिर की स्थापना का समय निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है। कुछ पुरातात्विक साक्ष्य छठी शताब्दी की ओर इशारा करते हैं, जबकि कुछ किंवदंतियों का दावा है कि मंदिर हजारों साल पुराना है।
- निर्माण का रहस्य : मंदिर के निर्माण के संबंध में कई किंवदंतियां हैं। एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं मंदिर के निर्माण का निर्देशन किया था।
- रावण का संबंध: कुछ किंवदंतियों का दावा है कि शिव भक्त रावण ने भी मंदिर के निर्माण में योगदान दिया था।
मल्लिकार्जुन मंदिर पर आक्रमण | Mallikarjun Mandir Par Aakraman
- 14वीं शताब्दी: बहमनी सुल्तान अलाउद्दीन हसन ने मंदिर पर हमला किया और इसकी मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया।
- 16वीं शताब्दी: विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेवराय ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और इसकी सुरक्षा के लिए किलेबंदी का निर्माण कराया।
- 17वीं शताब्दी: मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर पर हमला किया और उसकी संपत्ति लूट ली।
- 18वीं शताब्दी: हैदराबाद के निज़ाम ने मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया और कर लगा दिया।
- 19वीं सदी: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया और इसकी देखभाल के लिए एक न्यासी बोर्ड का गठन किया।
मल्लिकार्जुन मंदिर की कहानी | Mallikarjun Mandir Ki Kahani
चन्द्रगुप्त नामक राजा की राजधानी इसी पर्वत के निकट थी। एक दिन राजा की बेटी किसी विपत्ति से बचने के लिए अपने माता-पिता के महल से भागकर इस पर्वत पर पहुँच गई। वहां पहुंचकर वह ग्वालों के साथ अपना जीवन व्यतीत करने लगा। उसके पास एक काली गाय थी, जिसका दूध एक चोर प्रतिदिन लेता था। एक दिन राजकुमारी ने दूध देते समय चोर को पकड़ लिया। क्रोध और गुस्से से भरी राजकुमारी ने चोर को मारने की कोशिश की, लेकिन जब वह गाय के पास पहुंची तो उसे शिवलिंग के अलावा कुछ नहीं मिला। बाद में राजकुमारी ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर बनवाया और भगवान मल्लिकार्जुन को वहीं प्रतिष्ठित किया गया।