मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए, व्रत करने की विधि व महत्व

मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए: सावन का महीना, प्रकृति की सुंदरता और पवित्रता से सराबोर, भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना का महीना है। हर तरफ खुशियों, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस महीने में मंगलवार का दिन भी खास होता है, जो माता पार्वती, शक्ति, सौभाग्य और सौंदर्य की देवी, को समर्पित है। सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती हैं, उनकी कृपा पाने और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करने के लिए।

यह व्रत न सिर्फ सुख-समृद्धि लाता है, बल्कि पति की लंबी आयु का वरदान भी देता है। आज, 30 जुलाई 2024, मंगलवार का दिन है, और सुहागिन स्त्रियां मंगला गौरी व्रत का पालन करेंगी। इस व्रत को करने की विधि और महत्व को जानने के लिए, इस लेख को ध्यान से पढ़ें।

मंगला गौरी व्रत कितने करने चाहिए | Mangala Gauri Vrat Kitne Karna Chahie

सावन का महीना, भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना का महीना, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है। इस पवित्र महीने में, हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है, जो माता पार्वती, शक्ति, सौभाग्य और सौंदर्य की देवी, को समर्पित है। कई भक्त सोलह सप्ताह तक इस व्रत को रखने का संकल्प लेते हैं, माता की कृपा पाने और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए। साल 2024 में, सावन में चार मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे। पहला व्रत 23 जुलाई को, दूसरा 30 जुलाई को, तीसरा 6 अगस्त को और चौथा 13 अगस्त को रखा जाएगा। ये चार मंगलवार, माता पार्वती की कृपा पाने और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व रखते हैं।

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मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए | Mangala Gauri Vrat Mein Kya Karna Chahie

मंगला गौरी व्रत के दौरान, शुद्धता और पवित्रता का विशेष महत्व होता है। इस दिन, भोजन में सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रत के दौरान, शुद्ध और शाकाहारी भोजन ही किया जाता है, जिसमें नमक का प्रयोग वर्जित है। फलों का सेवन, जैसे सेब, केला, अंगूर, व्रत के दौरान किया जा सकता है। ये फल न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि व्रत के दौरान होने वाली कमजोरी को भी दूर करते हैं। साबुदाने की खीर, एक स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन, इस व्रत के दौरान खाने के लिए उपयुक्त है। यह खीर न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि शरीर को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करती है।

व्रत के दौरान, भोजन में नमक का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित है। नमक का प्रयोग व्रत की पवित्रता को कम करता है और शरीर को शुद्ध रहने से रोकता है। इसलिए, व्रत के दौरान नमक के प्रयोग से बचना आवश्यक है। सूर्यास्त के बाद भोजन कर लेना चाहिए। सूर्यास्त के बाद भोजन करने से शरीर को आराम मिलता है और व्रत का प्रभाव और भी अधिक होता है।

मंगला गौरी व्रत के दौरान, भोजन के साथ-साथ, अपने विचारों और व्यवहार में भी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। व्रत का उद्देश्य केवल शरीर को शुद्ध करना नहीं है, बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करना है।

मंगला गौरी व्रत की विधि | Mangala Gauri Vrat Ki Vidhi

  • श्रावण महीने के पहले मंगलवार से अंतिम मंगलवार तक व्रत करें।
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • लाल रंग के वस्त्र पर माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • आटे का दीपक जलाकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।
  • 16 आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और सुहाग सामग्री अर्पित करें।
  • पूजा के बाद माता गौरी की आरती करें।
  • अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।

मंगला गौरी व्रत का महत्व | Mangala Gauri Vrat Ka Mahatva

  • माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पति की लंबी आयु और संतान सुख मिलता है।
  • अविवाहित युवतियों को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
  • विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  • घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • कुंडली में मंगल दोष दूर होता है।
  • दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।
  • संतान से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है।

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