Namami Shamishan Lyrics: ‘’नमामि शमीशान निर्वाण रूपम” – यह पंक्ति Shiva Rudrashtakam के एक प्रसिद्ध श्लोक से ली गई है, जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती है। यह श्लोक शिव को श्मशान के स्वामी के रूप में चित्रित करता है, जहाँ वह निर्वाण का रूप धारण करते हैं।
शिव रुद्राष्टकम एक छोटा लेकिन शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव के आठ गुणों का वर्णन करता है। Shiva Rudrashtakam न केवल भक्ति का अनुभव कराता है, बल्कि जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाने और शांति प्रदान करने का वरदान भी देता है।
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Namami Shamishan Lyrics | नमामि शमीशान निर्वाण रूपम श्लोक
नमामी शमीशान निर्वाणरूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् !
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं,
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् !
करालं महाकाल कालं कृपालं,
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गंभीरं,
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् !
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगङ्गा,
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् !
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् !
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी !
चिदानन्द संदोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।
न यावत् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् !
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां,
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् !
जरा जन्म दुःखौद्य तातप्यमानं,
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ।।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये !
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।
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नमामि शमीशान निर्वाण रूपम श्लोक का अर्थ और महत्व
नमामि शमीशान निर्वाण रूपम श्लोक शिव की भौतिकता से परे, निर्वाण रूप की महिमा का वर्णन करता है। श्मशान, जो मृत्यु का प्रतीक है, यहां शिव के लिए मोक्ष और मुक्ति का प्रतीक बन जाता है। यह श्लोक हमें सिखाता है कि शिव, जो मृत्यु के स्वामी हैं, वही जीवन के सच्चे अर्थ और आत्मज्ञान का मार्ग भी दिखाते हैं।
शिव रुद्राष्टकम पाठ के लाभ | Benefits of reciting Shiva Rudrashtakam
- शिव रुद्राष्टकम का पाठ मन को शांत और स्थिर करता है।
- यह स्तोत्र जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
- शिव रुद्राष्टकम का नियमित पाठ आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होता है।
- यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक सरल तरीका है।
शिव रुद्राष्टकम का उच्चारण कैसे करें | How to pronounce Shiva Rudrashtakam
शिव रुद्राष्टकम का पाठ सुबह या शाम को किया जा सकता है। आप इसे किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि उच्चारण सही हो। आप YouTube या अन्य ऑनलाइन संसाधनों से शिव रुद्राष्टकम का पाठ सुन सकते हैं और उच्चारण सीख सकते हैं।
शिव रुद्राष्टकम के बारे में रोचक तथ्य
- शिव रुद्राष्टकम का रचयिता कवि शंकर द्वारा माना जाता है।
- यह स्तोत्र शिव की आठ शक्तियों का वर्णन करता है, जिन्हें “अष्ट सिद्धि” कहा जाता है।
- शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।