श्री राम चंद्र कृपालु भजमन | Nitin Mukesh Shree Ram Stuti Lyrics

Nitin Mukesh Shree Ram Stuti Lyrics: आज हम जिस देवता के बारे में जानेंगे वो दुनिया को हर मुश्किल परिस्थिति का सामना करना सिखाते हैं। आज के दौर में अगर किसी भी व्यक्ति पर कोई भी मुसीबत आती है तो उसके मुंह से एक ही नाम निकलता है- श्री राम। ये नाम हर परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत देता है, इस नाम के जाप से लोगों को मोक्ष मिलता है, सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है। 

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जी हां, यहां हम उन्हीं देवता की बात कर रहे हैं जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम की प्रतिष्ठा प्राप्त है। जिन्होंने अपनी मर्यादा का पालन करने के लिए राज-पाट, मित्र और माता-पिता सब कुछ छोड़ दिया। भगवान श्री राम के बारे में हम जितना जानेंगे उतना कम होगा क्योंकि इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति के शब्दों में इतनी ताकत नहीं है जो भगवान श्री राम का परिचय करा सके। आइए आज हम श्री राम के जीवन, शिक्षाओं और नाम के अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं।

नितिन मुकेश श्री राम स्तुति गीत | Nitin Mukesh Shree Ram Stuti Lyrics

श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, श्री हनुमान जन्मोत्सव और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से वाचन करने वाली वंदना।

श्री राम स्तुति लिरिक्स – श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।

पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।

करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम के जीवन पर केंद्रित भक्तिभावपूर्ण महाकाव्य “रामचरित्रमानस” की रचना कर, उनकी कहानी को जन-जन तक लिखा। यह महाकाव्य न केवल हिंदी साहित्य का शिखर है, बल्कि भारतीय संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। रामचरित्रमानस के अतिरिक्त, अन्य भारतीय रामायण में भी रचनाएँ हुई हैं, जो श्री राम की कहानी को विभिन्न स्वरूपों में जीवंत रूप प्रदान करती हैं। श्री राम का जीवन, उनकी शिक्षाएँ और उनकी कहानी आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है और उनकी मर्यादा हमारे जीवन में एक आदर्श बनी हुई है।

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