सात बार हनुमान चालीसा का पाठ:- हिंदू धर्म में लगभग सभी भक्त प्रतिदिन मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं I लेकिन अगर कोई Hanuman भक्त लगातार सात दिनों तक प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करता है। अगर कोई प्रतिदिन भगवान राम जी के सामने श्री हनुमान चालीसा का पाठ करता है तो उसकी एक या दो नहीं बल्कि कई मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि हनुमान चालीसा का पाठ (Saat Baar Hanuman chalisa ka path) कब करना चाहिए. तो आइए आपको बताते हैं।
Table of Contents
सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करने के लाभ
- अगर आप रोज सुबह उठकर बार-बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको किसी भी व्यक्ति को परेशान करने वाले किसी भी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी।
- नियमित रूप से सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- यदि आप मंगलवार और शनिवार को सात बार या हर दिन कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो घर में हनुमान चालीसा का पाठ करने से सुख, शांति और याददाश्त आती है।
- अगर आप प्रतिदिन सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपके घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यापार में उन्नति होती है। अगर आप नौकरी करते हैं तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
कब करें हनुमान चालीसा का पाठ
वैसे तो हर दिन भगवान का दिन होता है, हनुमान चालीसा का पाठ आप किसी भी दिन और किसी भी समय कर सकते हैं I लेकिन हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि अगर मंगलवार और शनिवार को सात बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह बहुत शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि आप सुबह या शाम के समय लाल रंग के आसन पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से पवनपुत्र हनुमान प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद देते हैं I इतना ही नहीं अगर आपके पास समय है तो आप इसका पाठ रोजाना भी कर सकते हैं I हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें I
हम सात बार हनुमान चालीसा का पाठ क्यों करते हैं?
धार्मिक ग्रंथों में हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करने का कोई विशेष नियम नहीं बताया गया है। धार्मिक प्रथाओं और पूजा-पाठ को लेकर कई नियम हैं और यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। हनुमान चालीसा का पाठ अपनी आवश्यकता और आस्था के अनुसार किया जा सकता है। इसका पाठ कैसे किया जाता है और कितनी बार किया जाना चाहिए यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और आस्था पर निर्भर करता है, लेकिन हनुमान चालीसा में कहा गया है कि जो व्यक्ति सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करता है वह बड़ी से बड़ी परेशानियों से भी मुक्त हो जाता है।
हनुमान चालीसा का पाठ
।। श्री हनुमान चालीसा ।।
।। दोहा ।।
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥
।। चौपाई ।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥
लाय सँजीवनि लखन जियाए।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
असकहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते।
कबी कोबिद कहि सकैं कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनौं लोक हाँक ते काँपे॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोहि अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
असबर दीन्ह जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोईमहा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥
।। दोहा ।।
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
।। समाप्त ।।