सतयुग के अवतार: भगवान विष्णु ने सतयुग में लिये थे 4 शत्रु नाशक अवतार

सतयुग के अवतार: हिंदू धर्म में युगों का वर्णन बहुत महत्वपूर्ण है। त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया, द्वापर युग में उन्होंने श्री हरि कृष्ण का अवतार लिया। अब विष्णु जी का कल्कि अवतार आने वाला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तीनों युगों से पहले जो सतयुग आया था वह कैसा था? Satyug को हमेशा से सर्वश्रेष्ठ युग माना गया है। यहाँ आपको Satyug के बारे में जानने को मिलेगा।

Satyug Ke Avatar Image

सतयुग कितना पुराना है

सतयुग, जिसे कृत युग के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में चार युगों में से पहला और सबसे अच्छा युग माना जाता है। यह युग सत्य, धर्म, नैतिकता और सदाचार पर आधारित था।

  • बहुत प्राचीन: सतयुग का इतिहास 17 लाख वर्ष पुराना माना जाता है।
  • पाप का अभाव: इस युग में पाप लगभग नहीं था। लोग ईमानदार, सदाचारी और नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले थे।
  • ज्ञान और तपस्या: Satyug के लोग ज्ञान और तपस्या में निपुण थे।
  • दीर्घायु: इस युग के लोग बहुत लंबी आयु जीते थे।
  • विशालकाय: Satyug के लोग विशालकाय थे।
  • समृद्धि: सतयुग में अन्न, धन और संपत्ति की प्रचुरता थी।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: प्रकृति अत्यंत सुंदर और स्वच्छ थी।
  • देवताओं का निवास: देवता भी पृथ्वी पर विचरण करते थे और मनुष्यों के साथ रहते थे।
  • मुद्रा: Satyug की मुद्रा रत्नों से जड़ी होती थी और सोने के बर्तनों का उपयोग किया जाता था।

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सतयुग के अवतार | Satyug Ke Avatar

सतयुग जिसे कृत युग भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में चार युगों में से सबसे पहला और सबसे अच्छा युग माना जाता है। इस युग में भगवान विष्णु ने चार अवतार लिए थे, जिनके बारे में हम विस्तार से जानते हैं:

मत्स्य अवतारSatyug के आरम्भ में शंखासुर नामक राक्षस ने वेदों को चुराकर समुद्र में छिपा दिया था। भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लेकर शंखासुर का वध किया और वेदों को वापस लाकर ब्रह्मा को सौंप दिया।
कूर्म अवतारसमुद्र मंथन के दौरान जब मंदार पर्वत डूबने लगा तो भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर उसे अपनी पीठ पर उठा लिया और सृष्टि का भार अपने ऊपर ले लिया तथा देवताओं और दानवों को अमृत प्राप्त करने में सहायता की।
वराह अवतारहिरण्याक्ष नामक राक्षस ने पृथ्वी को छीनकर पाताल में छिपा दिया था। भगवान विष्णु ने वराह का रूप धारण कर पृथ्वी को अपनी सूंड पर उठा लिया और हिरण्याक्ष का वध कर दिया।
नरसिंह अवतारहिरण्यकश्यप नामक राक्षस ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की कोशिश की क्योंकि वह भगवान विष्णु का भक्त था। भगवान विष्णु ने नरसिंह (आधा मानव, आधा शेर) का रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया और प्रह्लाद की रक्षा की।

सतयुग का प्रारंभ | Satyug Ka Prarambh

अक्षय तृतीया पर्व पर Satyug की शुरुआत हुई थी। हिंदू धर्म में इस पर्व को महत्वपूर्ण माना जाता है, जो अपराजित और शाश्वत का प्रतीक है। कई मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने महाराज परीक्षित को सतयुग का वरदान दिया था, जिसके कारण Satyug की शुरुआत हुई थी। इस दिन लोग धार्मिक और पुण्य कर्म करने का संकल्प लेते हैं और इसे अपने जीवन के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन की शुरुआत से Satyug का आगमन हुआ, जिसने एक सशक्त और नैतिक समाज की स्थापना की शुरुआत की।

सतयुग का अंत | Satyug Ka Ant

जैसे-जैसे सतयुग समाप्त होता गया, लोगों ने भौतिकवाद के बजाय आध्यात्मिकता को प्राथमिकता देना बंद कर दिया। समय के साथ, सत्य और धर्म के मूल्यों में गिरावट आई और नैतिकता की विफलता ने लोगों की भावनाओं को अस्थिर कर दिया। बुराई और अधर्म के बढ़ने के साथ, Satyug समाप्त हो गया और त्रेता युग शुरू हुआ।

सतयुग का महत्व | Satyug Ka Mahatva

सतयुग मानव सभ्यता का आदर्श युग है। यहाँ लोगों का जीवन अत्यंत सादगी और पवित्रता से भरा हुआ था। इस युग में सत्य, धर्म, नैतिकता और सदाचार के मार्ग पर चलने का तत्व बहुत महत्वपूर्ण था। लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम, सम्मान और सहयोग के साथ रहते थे। इस युग में अधिकांश लोग ध्यान और तपस्या में लगे रहते थे और ईश्वर को पाने के लिए प्रार्थना और ध्यान की आवश्यकता महसूस करते थे। Satyug की कहानियाँ हमें आदर्श और मौलिक मूल्यों के बारे में समझाती हैं और हमें सिखाती हैं कि इन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाकर हम एक आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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