शीश गंग अर्धांग पार्वती लिरिक्स हिंदी: “शीश गंग अर्धांग पार्वती” एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है जो हिंदू देवी पार्वती की स्तुति करता है। यह गीत देवी की सुंदरता, शक्ति और दिव्यता का वर्णन करता है। इस गीत में, पार्वती को “Sheesh Ganga Ardhang” कहा गया है, जिसका अर्थ है कि उनके सिर पर गंगा नदी बहती है और उनके शरीर का आधा हिस्सा भगवान शिव का है। यह गीत पार्वती की दिव्यता और शिव के साथ उनके अटूट बंधन का प्रतीक है। यह गीत कई भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह देवी पार्वती की उपासना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में शीश गंग अर्धांग पार्वती लिरिक्स दिया गया है.
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शीश गंग अर्धांग पार्वती लिरिक्स हिंदी | Sheesh Gang Ardhang Parvati Bhajan Lyrics
शीश गंग अर्धंग पार्वती,
सदा विराजत कैलासी ।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,
धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥
शीतल मन्द सुगन्ध पवन,
बह बैठे हैं शिव अविनाशी ।
करत गान-गन्धर्व सप्त स्वर,
राग रागिनी मधुरासी ॥
यक्ष-रक्ष-भैरव जहँ डोलत,
बोलत हैं वनके वासी ।
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,
भ्रमर करत हैं गुंजा-सी ॥
कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु,
लाग रहे हैं लक्षासी ।
कामधेनु कोटिन जहँ डोलत,
करत दुग्ध की वर्षा-सी ॥
सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित,
चन्द्रकान्त सम हिमराशी ।
नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित,
सेवत सदा प्रकृति दासी ॥
ऋषि मुनि देव दनुज नित सेवत,
गान करत श्रुति गुणराशी ।
ब्रह्मा, विष्णु निहारत निसिदिन,
कछु शिव हमकूँ फरमासी ॥
ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर,
नित सत् चित् आनन्दराशी ।
जिनके सुमिरत ही कट जाती,
कठिन काल यमकी फांसी ॥
त्रिशूलधरजी का नाम निरन्तर,
प्रेम सहित जो नर गासी ।
दूर होय विपदा उस नर की,
जन्म-जन्म शिवपद पासी ॥
कैलासी काशी के वासी,
विनाशी मेरी सुध लीजो ।
सेवक जान सदा चरनन को,
अपनो जान कृपा कीजो ॥
तुम तो प्रभुजी सदा दयामय,
अवगुण मेरे सब ढकियो ।
सब अपराध क्षमाकर शंकर,
किंकर की विनती सुनियो ॥
शीश गंग अर्धंग पार्वती,
सदा विराजत कैलासी ।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,
धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥
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Sheesh Gang Ardhang Parvati Bhajan Lyrics
Sheesh Gang Ardhang Parvati,
Sada Virajat Kailasi ।
Nandi Bhrngi Nrty Karat Hain,
Dharat Dhyan Sur Sukhrasi ॥
Sheetal Mand Sugandh Pavan,
Bah Baithe Hain Shiv Avinashi ।
Karat Gaan-gandharv Sapt Swar,
Raag Ragini Madhurasi ॥
Yaksh-raksh-bhairav Jahan Dolat,
Bolat Hain Vanke Vasi ।
Koyal Shabd Sunavat Sundar,
Bhramar Karat Hain Gunja-si ॥
Kalpadrum Aru Parijaat Taru,
Laag Rahe Hain Lakshasi ।
Kamadhenu Kotin Jahan Dolat,
Karat Dugdh Ki Varsha-si ॥
Suryakant Sam Parvat Shobhit,
Chandrakant Sam Himrashi ।
Nitya Chhahon Rtu Rahat Sushobhit,
Sevat Sada Prakrti Dasi ॥
Rishi Muni Dev Danuj Nit Sevat,
Gaan Karat Shruti Gunrashi ।
Brahma, Vishnu Niharat Nisidin,
Kachhu Shiv Hamkun Pharmasi ॥
Rddhi-siddhi Ke Data Shankar,
Nit Sat Chit Aanandrashi ।
Jinke Sumirat Hi Kat Jati,
Kathin Kaal Yamki Phansi ॥
Trishuldharaji Ka Naam Nirantar,
Prem Sahit Jo Nar Gasi ।
Door Hoy Vipda Us Nar Ki,
Janm-janm Shivpad Paasi ॥
Kailasi Kashi Ke Vasi,
Vinashi Meri Sudh Lijo ।
Sevak Jaan Sada Charanan Ko,
Apno Jaan Kripa Kijo ॥
Tum to Prabhuji Sada Dayamay,
Avagun Mere Sab Dhakiyo ।
Sab Apradh Kshamakar Shankar,
Kinkar Ki Vinati Suniyo ॥
Sheesh Gang Ardhang Parvati,
Sada Virajat Kailasi ।
Nandi Bhrngi Nrty Karat Hain,
Dharat Dhyan Sur Sukhrasi ॥