वट पूर्णिमा पूजा विधि: वट पूर्णिमा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार, पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि, और संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, जिसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। वट पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।आइए, Vat Purnima pooja जानते है।
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वट पूर्णिमा पूजा कब है | Vat Purnima Pooja Kab Hai
वैदिक पंचांग के अनुसार, Jyeshtha Purnima 21 जून को सुबह 7 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रही है और यह 22 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इस आधार पर, Vat Savitri Purnima का व्रत 21 जून 2024 को शुक्रवार को रखा जाएगा। Vat Savitri व्रत को मनाने के दौरान महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और विभिन्न सामग्री जैसे दूध, घी, फल और फूल उपयोग करती हैं। यह पूर्णिमा मान्यताओं के अनुसार विशेष महत्वपूर्ण है और ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के रूप में भी जानी जाती है।
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वट पूर्णिमा शुभ मुहूर्त | Vat Purnima Kab Hai
Vat Purnima का लाभ चौघड़िया के मुहूर्त का समय सुबह 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक है। इस समय में किसी भी कार्य की शुरुआत करने से लाभ होता है। अमृत चौघड़िया के मुहूर्त का समय 8 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक है। इस समय में किसी भी कार्य को करने से अमृत प्राप्ति होती है। शुभ चौघड़िया के मुहूर्त का समय दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से 2 बजकर 7 मिनट तक है। इस समय में किसी भी कार्य को करने से शुभ फल मिलता है। यह समय विशेष रूप से आपके कारोबार, निवेश और आर्थिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
वट पूर्णिमा पूजा नियम | Vat Purnima Pooja Niyam
Vat Purnima Puja को नियमित रूप से आचरण करने से आप धार्मिक और मानसिक आनंद का अनुभव कर सकते हैं। यहां Vat Purnima Puja के कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं:
- पूजा का समय: Vat Purnima की पूजा शुक्ल पक्ष की ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को की जाती है। इसे शुभ मुहूर्त में करने का प्रयास करें।
- पूजा स्थल: एक शुद्ध और साफ़ स्थान चुनें जहां आप पूजा कर सकें। यह स्थान मंगलमय और शांति से परिपूर्ण होना चाहिए।
- पूजा सामग्री: Vat Purnima की पूजा के लिए कई प्रकार की सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे वट के पत्ते,
वट सावित्री पूर्णिमा पूजन सामग्री | Vat Purnima Puja Samagri
Vat Savitri Purnima Puja में विशेष सामग्री का उपयोग होता है जो पूजा की विधि को समृद्ध करती है। प्रमुख सामग्री में शामिल हैं: सत्यवान और सावित्री की मूर्ति, बांस का बना हुआ एक हाथ पंखा, लाल सूत्र, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, सवा मीटर का एक कपड़ा, सिंदूरी जल से भरा हुआ पात्र, रोली, और गुड़-चना। ये सामग्री पूजन के विभिन्न पद्धतियों और मंत्रों को समर्थन देती हैं और पूजन का आयोजन सुगम बनाती है। व्रती इन सामग्रियों का उपयोग करके Vat Savitri Purnima पर ध्यान, श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजन करते हैं।
वट पूर्णिमा पूजा विधि | Vat Purnima Puja Vidhi
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- एक थाली में पूजन सामग्री एकत्र करें।
- हल्दी और चावल के पेस्ट से छापा बनाएं और गुलगुले तैयार करें।
- बरगद के नीचे गाय का गोबर या सावित्री और माता पार्वती की प्रतीक के रूप में सुपारी में कलावा लपेटकर रखें।
- वट वृक्ष में पहले जल चढ़ाएं और फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं।
- पूजा में सोलह श्रृंगार चढ़ाएं और फल चढ़ाएं।
- बांस का पंखा रखें, घी का दीपक और धूप जलाएं।
- सफेद सूत का धागा या कलावा बांधें और वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करें।
- व्रत कथा सुनें और चने को वृक्ष में चढ़ाएं।
- सुहागिन महिलाएं सिंदूर लगाएं और आरती करें।
- व्रत को बरगद के वृक्ष के निकट खोलें।
वट पूर्णिमा व्रत कथा | Vat Purnima Vrat Katha
एक समय की बात है, एक सुंदर और भक्तिमय नाम से जानी जाने वाली सावित्री नामक कन्या थी। वह बहुत ही धर्मिक और सम्माननीय थी, और अपने पति सत्यवान्न के साथ बहुत प्रेम करती थी। सत्यवान्न एक बहुत ही सम्माननीय राजकुमार थे, लेकिन वे बहुत ही गरीब थे।
एक बार सत्यवान्न अपनी पत्नी के साथ वट वृक्ष की पूजा करने के लिए गए, जो कि विशेष रूप से इस दिन की जाती है। यहां, सावित्री ने भगवान शिव का दर्शन किया और उनसे अपने पति के लिए दीर्घायु और समृद्धि की विनती की।
उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि उनके पति को कितनी उम्र तक जीने की वरदान दी जाए। शिवजी ने उत्तर दिया कि वे सौ साल तक जी सकते हैं, लेकिन उस अवधि में उन्हें ध्यान देने के लिए बहुत समय चाहिए था। सावित्री ने इसे स्वीकार किया और अपने पति की आयु बढ़ाने का व्रत किया।
सावित्री ने पतिव्रता धर्म के साथ सत्यवान की प्राण बचाने के लिए यमराज से भी बहस की, और अंततः उन्होंने अपने पति की आयु को बचा लिया। इस कथा से प्रेरित होकर हिन्दू महिलाएं वट पूर्णिमा पर व्रत रखती हैं और अपने पतिव्रता, परिवार और सम्पत्ति की रक्षा की प्रार्थना करती हैं।
FAQ | वट पूर्णिमा पूजा विधि
1. वट पूर्णिमा क्या है?
उत्तर: वट पूर्णिमा हिन्दू तिथि के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन वट वृक्ष (बरगद) की पूजा एवं व्रत रखे जाते हैं।
2. वट पूर्णिमा पूजा क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: वट पूर्णिमा को मनाने से मान्यता है कि वट वृक्ष की आराधना से देवी सावित्री के पति सत्यवान की आयु बढ़ी और उनका सम्पूर्ण वंश उन्हें अनादि से चला आ रहा है।
3. वट पूर्णिमा पूजा में कौन-कौन सी विधियाँ होती हैं?
उत्तर: वट पूर्णिमा पूजा में वट वृक्ष की पूजा की जाती है, प्रार्थनाएँ की जाती हैं और व्रत रखा जाता है। लोग वट वृक्ष के चारों ओर प्रदक्षिणा करते हैं और उसे गुड़ और चना चढ़ाते हैं।
4. वट पूर्णिमा पूजा के लाभ क्या हैं?
उत्तर: वट पूर्णिमा पूजा के माध्यम से धार्मिक आनंद का अनुभव होता है और सावित्री देवी की कृपा प्राप्त होती है।