गुरु पूर्णिमा कब है 2024: हिंदू और बौद्ध धर्मों में गुरु पूर्णिमा का पर्व न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि पवित्र भी माना जाता है। यह दिन गुरुओं को सम्मानित करने और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करने का दिन होता है। सदियों से, गुरु को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है। समाज और उसकी निर्माण प्रक्रिया में गुरु का अहम योगदान होता है। वे ज्ञान के प्रकाशपुंज होते हैं, जो हमें अज्ञानता के अंधेरे से बाहर निकालते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं।
2024 में Guru Purnima रविवार, 21 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन, हम अपने गुरुओं को याद करते हैं और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
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गुरु पूर्णिमा कब है 2024 | Guru Purnima Date 2024
गुरु पूर्णिमा का पर्व इस वर्ष रविवार, 21 जुलाई को मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर, गुरुओं को सम्मानित करने और उनके ज्ञान के लिए आभार व्यक्त करने के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। प्रातः 5:20 बजे से 6:08 बजे तक स्नान का मुहूर्त है, जिसके बाद गुरु पूजन का मुहूर्त प्रातः 11:16 बजे से 12:52 बजे तक है। पूर्णिमा तिथि 21 जुलाई, रविवार, प्रातः 4:14 बजे आरंभ होकर 22 जुलाई, सोमवार, प्रातः 3:22 बजे तक रहेगी। इन शुभ मुहूर्तों में गुरु पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करके, हम इस पवित्र दिन का लाभ उठा सकते हैं और अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त कर सकते हैं।
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गुरु दीक्षा मुहूर्त 2024 | Guru Diksha Muhurat 2024
गुरु दीक्षा एक महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान है, जो व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गुरु दीक्षा के लिए कोई एक निश्चित मुहूर्त नहीं होता है, यह व्यक्तिगत कुंडली, गुरु की पसंद और उपलब्धता पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ सामान्य शुभ मुहूर्त हैं जो गुरु दीक्षा के लिए अनुकूल माने जाते हैं।
विशेष योगों वाले दिन, जैसे Guru Purnima, रविवार, एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या, गुरु दीक्षा के लिए शुभ माने जाते हैं। ग्रहों की अनुकूल स्थिति, जैसे गुरु, सूर्य, चंद्र और शुक्र, भी गुरु दीक्षा के लिए शुभ मानी जाती है। नक्षत्रों में, गुरु, मीन, धनुष और वृषभ जैसे नक्षत्रों में गुरु दीक्षा करना भी शुभ माना जाता है।
2024 में गुरु दीक्षा के लिए कुछ संभावित शुभ मुहूर्त हैं: गुरु पूर्णिमा (21 जुलाई)
गुरु दीक्षा से पहले, गुरु का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण है। एक योग्य और अनुभवी गुरु का चयन करना आवश्यक है। गुरु दीक्षा के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना भी महत्वपूर्ण है। कुछ गुरु दीक्षा से पहले कुछ संस्कार करने का निर्देश देते हैं, जो गुरु की पसंद पर निर्भर करता है। गुरु दीक्षा एक गंभीर और पवित्र अनुष्ठान है, इसलिए इसे पूरी तैयारी और ध्यान से करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा का अर्थ
गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला पर्व, ज्ञान, मार्गदर्शन और शिक्षा के प्रति आभार व्यक्त करने का एक पवित्र अवसर है। यह केवल बाहरी गुरुओं को सम्मानित करने का दिन नहीं है, बल्कि अपने भीतर के गुरु, अर्थात आत्मा के ज्ञान को पहचानने का भी अवसर है। गुरु पूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि ज्ञान केवल किताबों से नहीं, बल्कि गुरुओं के मार्गदर्शन से प्राप्त होता है। वे हमें जीवन के मूल्यों, नैतिकता, और ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं, जिससे हम सही रास्ते पर चल सकते हैं। इस दिन, हम अपने गुरुओं के प्रति आभार प्रकट करते हैं, उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देते हैं। गुरु पूर्णिमा हमें अपने आत्म-ज्ञान की खोज के लिए भी प्रेरित करती है, हमें अपने भीतर के गुरु से जोड़ती है जो हमें सच्चा मार्ग दिखाता है। गुरु पूर्णिमा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखती है और ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण को बढ़ावा देती है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व | Guru Purnima Ka Mahatva
गुरु पूर्णिमा सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि ज्ञान, मार्गदर्शन और आध्यात्मिक विकास के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व हमें गुरुओं के महत्व को याद दिलाता है और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
- गुरु हमें अज्ञानता के अंधेरे से बाहर निकालते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं।
- गुरु हमें सही और गलत के बीच अंतर समझने, नैतिक मूल्यों का विकास करने और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं।
- यह पर्व गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करता है जो ज्ञान के संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- Guru Purnima हमें अपने गुरुओं को सम्मानित करने और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
- गुरु हमें ईमानदारी, सत्य, प्रेम, दया, क्षमा और करुणा जैसे गुणों का विकास करने में मदद करते हैं।
- गुरु हमें जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें | Guru Purnima Ke Din Kya Kare
Guru Purnima का पावन पर्व गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक विशेष अवसर है। इस दिन, अपने गुरु से मिलकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें, उनकी शिक्षाओं को याद करें और उनके मार्गदर्शन के लिए आभार प्रकट करें। वैदिक शास्त्रों में श्री आदि शंकराचार्य को जगतगुरु माना जाता है, इस दिन उनकी पूजा करने से ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। गुरु के गुरु, गुरु दत्तात्रेय की पूजा करने से भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, और दत्त बावनी का पाठ करने से मन शांत और आत्मिक विकास होता है।
वैदिक ज्योतिष में, बृहस्पति ग्रह को गुरु कहा जाता है, जो शिक्षा, उच्च शिक्षा और आदर्शों का प्रतीक है। इस दिन भगवान बृहस्पति की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। इस प्रकार, Guru Purnima का दिन गुरुओं का सम्मान करने, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने आध्यात्मिक विकास के लिए प्रेरित होने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
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