हनुमान जी पर दोहे:- हिंदू संस्कृति में हनुमान जी के दोहे गहरा महत्व रखते हैं। और उन्हें समर्थ वीर वह भक्ति के स्वरूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि ‘बल बुद्धि विदा देहु मोहि हरहु कलेश विकार’ जिसका अर्थ है कि हनुमान जी से प्राप्त होने वाले आशीर्वाद से व्यक्ति बुद्धिमान शक्तिशाली और विद्यमान बनता है। सभी कासन और विकारों से मुक्त हो जाता है।
Hanuman Ji की शरण में जाने से हम आत्मा को परमात्मा से मिला सकते हैं और उनके आशीर्वाद से ही सभी संकटों का विनाश होता है। इस प्रकार हनुमान जी के पूजन और उनके आराधना से हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। इस लेख में आपको हनुमान जी पर दोहे (Hanumam Ji Per Dohe) और उनका अर्थ सब विस्तार रूप से बताया जाएगा।
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हनुमान जी पर दोहे
हनुमान जी पर दोहे भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। जो संगीत के शुरू में हमें भगवान की कृपा का आभास कराते हैं। उनके चरणों में हमें आत्मसमर्पण और उद्दीपन होता है। जो जीवन को सही दिशा में ले जाता है।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर॥
अर्थ:- इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी कहना चाहते हैं। कि हनुमान जी ज्ञान और गुना का सागर है। वे तीनों लोकों को उजागर करने वाले श्रेष्ठ है।
बिना सुने हनुमान कोई नहीं होत पूजा का सार।
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अर्थ:- हनुमान जी को स्मरण किए बिना पूजा का महत्व नहीं होता है। हनुमान जी को याद करने से सभी संकट और पीड़ा दूर हो जाती है।
संकट मोचन हनुमान अष्टक, केरी कृपा करहु गुरुदेव की नाइ।
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाइ॥
अर्थ:- सभी संकटों से मुक्ति के लिए हनुमान जी को याद करता हूं। और उनकी कृपा से गुरुदेव की आशीष प्राप्त होती है। हम सब हनुमान जी के भक्त हैं और उन्हें अपने जीवन में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं।
बजरंग बली नाम तिहारा।
सुनि अनाथ के दुःख रखवारा॥
अर्थ:- हनुमान जी का नाम बजरंगबली है जो नाथों के दुख का रक्षक है। वह उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुधि लेहुं रघुपति कीन्हें पेटे॥
अर्थ:- पूरे संसार में हनुमान जी दुर्गम कामों को सहजता से पूरा करते हैं।
जो सुनैं हनुमान उर लाए।
ताकर तांडव भये प्रभु के दाए॥
अर्थ:- हनुमान जी के दोहे सुनने से उनके हृदय में उनके प्रभु श्री राम का स्मरण होता है।
मन क्रम वचन धन जो तुम्हारे।
ता प्रसन्न होत महाप्रभु दरबारे॥
अर्थ:- अगर हम मन वचन और धन को तुम्हारे हाथ में समर्पित करें। तो श्री हनुमान जी हमारे लिए अत्यंत प्रसन्न होंगे। और हमें महाप्रभु के दरबार में स्वीकृती मिलेगी।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार॥
अर्थ:- मैं अपने को बुद्धि हीन मानता हूं और हनुमान जी को स्मरण करता हूं। वह मुझे बल बुद्धि और विदा दे ताकि मैं अपने दुखों से मुक्त हो सकूं।
जानि राम सेवा सरस, समझि करब अनुमान।
पुरुष से सेवक बन जाओ, हरी के सेवक हनुमान।।
अर्थ:- जो कोई व्यक्ति श्री राम की सेवा में लगा हुआ है। वह हरि कैसे वक्त हनुमान जैसा बन जाता है। हनुमान भगवान श्री राम के भक्त थे। और उनकी सेवा में लगे रहते थे।
तुलसी राम सुदीठि तें, निबल होत बलवान।
बैर बालि सुग्रीव के, कहा कियो हनुमान॥
अर्थ:- जो व्यक्ति श्री राम पर विश्वास करता है वह अपनी शक्तियों के बल पर निर्भीक हो जाता है। हनुमान जी ने सुग्रीव और बाली के वैर में हनुमान जी ने भला क्या किया था। लेकिन फिर भी वह राम कृपा से शक्तिशाली बने।
तुलसी रामहु तें अधिक, राम भगत जियें जान।
रिनिया राजा राम में, धनिक भए हनुमान॥
अर्थ:- इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी यह कहना चाहते हैं कि श्री राम के भक्त होना जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। भगवान श्री राम के भक्त को प्रभु से भी अधिक समझना चाहिए। इसी तरह हनुमान जी भी भगवान राम के भक्त थे। और सदैव उनकी सेवा में लग रहे इसलिए इस दोहे के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया जाता है कि वे भगवान राम के भक्त बने और उनकी सेवा में लग रहे। ताकि उन्हें सभी प्रकार की सम्पदाऐ मिल सके।