होली दहन कब है:- हिंदू धर्म के अनुसार Holi एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है। संपूर्ण भारत में इसका अलग ही जश्न देखने को मिलता है। होली मुख्यतः फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और इसके दूसरे दिन होली बनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार Holika Dahan को बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाता है।
होली के दिन लोग एक दूसरे को रंगों में रंग देते हैं। घरों में पकवान बनते हैं लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते हैं और उनको होली की बधाइयां देते हैं तो दोस्तों इस लेख में आज हम जानेंगे कि होली दहन कब है (Holi Dahan Kab Hai) और इसका शुभ मुहूर्त क्या है।
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होली दहन कब है 2024 | Holi Dahan Kab Hai
हिंदू पंचांग के अनुसार 24 मार्च को प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा होने से होलिका दहन पर इसी दिन होगा। शास्त्र अनुसार भद्रा यदि अर्धरात्रि से पूर्व समाप्त हो जाती है तो होलिका दहन भद्रा बाद करना चाहिए। इस दिन भद्रा प्रात 9:55 से शुरू होकर रात्रि 11:13 मिनट तक रहेगा। जो की सर्वथा त्याज है होलिका दहन रात्रि 11:13 मिनट से शुरू होकर अर्धरात्रि के बाद 12:33 के मध्य होगा।
दिनांक | वार | भद्रा समय | होलिका दहन समय |
24 मार्च 2024 | रविवार | प्रात 9:55 से रात्रि 11:13 मिनट तक | 11:13 मिनट से अर्धरात्रि 12:33 तक |
होली कब है 2024 | Holi Kab Hai
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल Holi 25 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन देश भर में धूमधाम से रंगों और गुलाल को लगाकर होली बनाई जाती है। इस दिन सुबह 6:19 तक सर्वार्थ सिद्धि योग व सुबह से लेकर रात 9:30 तक रहेगा उसके बाद ध्रुव योग रहेगा इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रातकल से लेकर 10:38 तक रहेंगे। उसके बाद हस्त नक्षत्र योग रहेगा।
दिनांक | वार | सर्वार्थ सिद्धि योग | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र |
25 मार्च 2024 | सोमवार | सुबह 6:19 से रात 9:30 | प्रातकल से 10:38 तक |
होली की शुभकामनाएं
“आई रे आई होली आई
खुशियों का त्यौहार है लाई
नाचे गाये रंग लगाए होली हम सब मिलकर मनाएं
हैप्पी होली”
होली दहन मनाने का कारण
हिरण्यकश्यप की बहन होलीका नाम की राक्षसी थी। हिरण्यकश्यप एक महा भयंकर राक्षस था। उस समय में राज्य में साधु महात्माओं को, संतो को, पूरे संसार को पीड़ित करना या प्रताड़ित करना उसका एक बहुत बड़ा व्यक्तित्व बना लिया था। हिरण्यकश्यप ने कहा था कि जो कुछ भी करना है वह सिर्फ मेरी पूजा करो। जिसके कारण उस समय पर उनका बेटा प्रहलाद हुआ था। जो भगवान का अनन्य और अत्यंत भगत था। जिसकी भक्ति का आज विस्तार मिलता है। उस समय पर प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने होलिका को कहा था की होलिका के पास शक्ति थी। होलिका को आशीर्वाद था कि वह अग्नि में बेठे
तो वह उसके तप से जल नहीं सकती। वह उसके ताप से जलती नहीं थी। बल्कि जो उसके साथ में बैठता था वह जल जाता था। हिरण्यकश्यप ने कहा कि प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाओ। वह जल जाएगा परंतु प्रहलाद नहीं जला। बल्कि वह बच गया ईश्वर और भगवान की कृपा से प्रहलाद। भगवान की भक्ति Holika को जलाकर राख हो गई। इस समय से होलिका मनाए जाने लगी है इसका मुख्य कारण यह है कि Holika Dahan से हमारे जीवन के पाप, निगेटिव विचार सभी नष्ट हो जाते हैं और हमारा जीवन खुशियों से पूर्ण हो जाता है
होली का महत्व | Holi Ka Mahtav
हिंदू धर्म में Holi सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है। यह बसंत के आगमन की प्रतीक है। होली दहन भक्ति और धार्मिकता की जीत का प्रतिनिधित्व रखती है। होली के दिन लोग रंगों से खेलने के लिए अनेक जगह पर इकट्ठा होते हैं। वह एक दूसरे के चेहरे पर गुलाल या रंग लगाते हैं। इस दिन बच्चे पिचकारियों या गुब्बारे में पानी भरकर लोगों पर फेंकते हैं। होली के दिन लोकगीत और पारंपरिक संगीत बजाए जाते हैं और गाये जाते हैं।
बरसाने में लठमार होली, गरबा और भांगड़ा जैसे पारंपरिक रूप से मनाते हैं। Holi के दिन स्वादिष्ट मिठाइयां और नमकीन का आनंद लिए बिना होली अधूरी मनी जाती है। इस दिन लोग विशेष व्यंजन तैयार करते हैं और अपने परिवार के साथ भोजन करते हैं।
होलिका दहन पूजा विधि
- होलिका दहन के समय आप उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाइए।
- पूजा करने के लिए आप गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाईए।
- होलिका दहन के लिए अपनी पूजा थाली में रोली, फूल, माला, कच्चा सूत, अच्छा साबुत हल्दी, मूंग, पतासे, नारियल, गुलाल और उसी के साथ अनाज, एक लोटा पानी रख ले।
- उसके बाद पूरे विधि-विधान से Puja करें। मिठाइयां और फल चढ़ाई।
- एक बात का खास ध्यान रखें होलीका की पूजा के साथ भगवान नरसिंह की भी पूजा करें। उसके बाद होलिका के चारों ओर परिक्रमा काट ले।