नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई जानें पूरी कहानी

नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई: Neem Karoli Baba, जिन्हें महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय संत थे, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। उनकी मृत्यु के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं, जो उनकी रहस्यमयी और अलौकिक छवि को और भी बढ़ाती हैं। आइए, नीम करोली बाबा की मृत्यु के बारे में कुछ प्रमुख कहानियों और उनके जीवन के अंतिम क्षणों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई | Neem Karoli Baba Ki Mrityu Kaise Hui

देवभूमि, देवी-देवताओं की भूमि होने के साथ-साथ महान संतों की भूमि भी मानी जाती है। यहाँ ऐसे अनेक संत हुए हैं जिन्होंने अपनी अलौकिक शक्तियों से पूरे विश्व को मोहित किया। इनमें से एक महान संत थे नीम करोली बाबा, जिन्हें हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है। लक्ष्मी नारायण शर्मा के नाम से जन्मे नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में वर्ष 1900 के आसपास हुआ था।

बचपन से ही उनकी भक्ति भावना प्रबल थी, जिसके चलते उन्होंने किशोर अवस्था में ही साधु वेश धारण कर लिया था। नीम करोली में अपनी तपस्या शुरू करने के बाद उन्हें नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगा। 20वीं सदी के महान संतों में गिने जाने वाले नीम करोली बाबा कई दिव्य शक्तियों के धनी थे और उनके द्वारा किए गए अनेक चमत्कार आज भी लोगों की जुबान पर हैं।

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नीम करोली बाबा मंदिर के चमत्कार

नीम करोली बाबा, हनुमान जी के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले, स्वयं को उनके भक्तों द्वारा एक अवतार माना जाता है। ये वही बाबा हैं जिन्होंने हनुमान जी के 108 मंदिर बनवाए, हर एक पत्थर में उनके प्रति प्रेम को उकेरा। नैनीताल के कैंची धाम में स्थित उनका मुख्य आश्रम, 1964 में स्थापित, भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। हिंदू धर्म की मान्यता है कि बाबा की कृपा से आश्रम में आने वाले हर व्यक्ति की मुराद पूरी होती है, जिससे यह स्थल आशा और विश्वास की धारा से ओतप्रोत है।

नीम करोली बाबा की कहानी व चमत्कार

नीम करोली बाबा की अलौकिक शक्तियों के बारे में अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कहानी में बताया जाता है कि एक बार उनके भंडार में घी की कमी पड़ गई। बाबा ने लोगों से नदी का पानी लाने को कहा और फिर चमत्कारिक ढंग से उस पानी को घी में बदल दिया। एक अन्य कहानी में बताया जाता है कि एक बार उनके भक्त गर्मी से बेहद परेशान थे। उनकी भक्ति देखकर बाबा विचलित हो गए और उन्होंने बादल को बुलाकर बारिश कराई।

एक बार नीम करोली बाबा बिना टिकट के फर्स्ट क्लास ट्रेन में सफर कर रहे थे। टिकट चेकर ने उनके पास टिकट ना होने पर उन्हें अगले स्टेशन पर उतार दिया। बाबा नीम करोली जमीन पर बैठ गए। अधिकारी ने ट्रेन आगे बढ़ाने का इशारा किया, लेकिन ट्रेन एक इंच भी नहीं हिली। लंबे समय तक समस्या का समाधान ना निकलने पर, क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को इस घटना का पता चला। उन्होंने अधिकारी को बाबा नीम करोली से क्षमा मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक ट्रेन में बिठाने का आदेश दिया। जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठे, उनकी ट्रेन चल पड़ी। यह घटना नीम करोली बाबा की दिव्य शक्तियों का प्रमाण मानी जाती है।

नीम करोली बाबा की मृत्यु | Death of Neem Karoli Baba

11 सितंबर 1973 की रात, नीम करोली बाबा वृंदावन स्थित अपने आश्रम में थे। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाने की कोशिश की, लेकिन बाबा ने इनकार कर दिया। उन्होंने अपने भक्तों से कहा, “अब मेरे जाने का समय आ गया है।” उन्होंने तुलसी और गंगाजल मंगवाए और उन्हें ग्रहण किया। रात करीब 1:15 बजे, अनंत चतुर्दशी के दिन, बाबा नीम करोली ने वृंदावन की पावन भूमि में अपने प्राण त्याग दिए।

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