पार्वती जी की आरती | जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता

पार्वती जी की आरती: सावन का पावन माह, भोलेनाथ की कृपा का माह, प्रेम और भक्ति का माह! इस महीने, हरियाली चारों ओर छाई होती है, और प्रकृति अपनी सुंदरता से मन मोह लेती है। सावन, भगवान शिव का प्रिय माह है, और इस महीने में उनकी पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है।

सावन में, Bhagwan Shiv और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से, उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस महीने में, विधि-विधान से Bhagwan Shiv की पूजा करने से, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

सावन में, भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए, उनकी आरती करना बहुत ही शुभ माना जाता है। रोजाना नियम से आरती करने से, Bhagwan Shiv और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। आइए, इस सावन माह में, हम सभी मिलकर Bhagwan Shiv और माता पार्वती की आरती करें, और उनकी कृपा से अपने जीवन को धन्य बनाएँ!

पार्वती जी की आरती | Parvati Ji Ki Aarti

जय पार्वती माता जय पार्वती माता

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता

सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

देवन अरज करत हम चित को लाता

गावत दे दे ताली मन में रंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

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भगवान शंकर की आरती | Bhagwan Shankar Ki Aarti

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

सावन मास में इन 5 राशियों पर कृपा करेंगे सूर्य देव, धन- संपदा में वृद्धि के योग

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

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