राधा के 28 नाम: सभी दुखों के निवारण हेतु स्वयं प्रेमानंद महाराज ने बताए

राधा के 28 नाम: वृन्दावन में प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा की टिप्पणी के बाद संत प्रेमानंद महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। श्री राधारानी की सेवा और भक्ति में अपना जीवन समर्पित करने वाले प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वे एक बेहद चमत्कारी मंत्र के बारे में बता रहे हैं, जिसके जाप से 7 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलने का दावा किया जा रहा है!

प्रेमानंद महाराज ने Kishori Ji Ke 28 Naam (Radharani Ke 28 Naam) का खुलासा किया है, जिनके जाप से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और दुख-दर्द का अंत हो जाता है। क्या वाकई ये मंत्र इतना शक्तिशाली है? क्या प्रेमानंद महाराज का दावा सच है? जानिए इस विवाद और चमत्कारी मंत्र के बारे में सबकुछ इस ब्लॉग में!

राधा के 28 नाम | Kishori Ji Ke 28 Naam

क्रमांकनामअर्थ
1राधाश्री कृष्ण की प्रेमिका
2रासेश्वरीरास लीला की स्वामिनी
3रम्यामनमोहक, सुंदर
4कृष्णमत्राधिदेवताश्री कृष्ण की सर्वोच्च देवी
5सर्वाद्यासबसे श्रेष्ठ
6सर्ववन्द्यासबसे पूजनीय
7वृन्दावनविहारिणीवृन्दावन में विचरण करने वाली
8वृन्दाराधावृन्दावन की राधा
9रमासुंदर, मनमोहक
10अशेषगोपीमण्डलपूजितासभी गोपियों द्वारा पूजित
11सत्यासत्यवादी, सच्ची
12सत्यपरासत्य का पालन करने वाली
13सत्यभामासत्य की देवी
14श्रीकृष्णवल्लभाश्री कृष्ण की प्रिय
15वृषभानुसुतावृषभानु की पुत्री
16गोपीगोपियों की प्रमुख
17मूल प्रकृतिसृष्टि की मूल शक्ति
18ईश्वरीईश्वर की शक्ति
19गान्धर्वास्वर्ग की अप्सरा
20राधिकाराधा का एक अन्य नाम
21रम्यामनमोहक, सुंदर
22रुक्मिणीश्री कृष्ण की पत्नी
23परमेश्वरीसर्वोच्च देवी
24परात्परतरासबसे ऊँची
25पूर्णापूर्ण, संपूर्ण
26पूर्णचन्द्रविमाननापूर्ण चाँद की तरह चमकने वाली
27भुक्ति- मुक्तिप्रदाभौतिक और आध्यात्मिक सुख देने वाली
28भवव्याधि-विनाशिनीजन्म-मृत्यु के चक्र और बीमारियों को दूर करने वाली

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श्रीराधाजी के 28 नाम | Radharani Ke 28 Naam

श्री राधा जी के 28 नामों का जाप, एक अद्भुत उपनिषद में वर्णित है, जो उनकी अद्वितीय महिमा और दिव्यता का गुणगान करता है। इन नामों मेंराधा“, “रासेश्वरी”, “रम्या”, “कृष्णमत्राधिदेवता”, “सर्वाद्या”, “सर्ववन्द्या”, “वृन्दावनविहारिणी”, “वृन्दाराधा”, “रमा”, “अशेषगोपीमण्डलपूजिता”, “सत्या”, “सत्यपरा”, “सत्यभामा”, “श्रीकृष्णवल्लभा”, “वृषभानुसुता”, “गोपी”, “मूल प्रकृति”, “ईश्वरी”, “गान्धर्वा”, “राधिका”, “रुक्मिणी”, “परमेश्वरी”, “परात्परतरा”, “पूर्णा”, “पूर्णचन्द्रविमानना”, “भुक्ति-मुक्तिप्रदा” और “भवव्याधि-विनाशिनी” शामिल हैं। इन नामों का जाप करने से श्रीकृष्ण और श्रीराधा के परम प्रिय बनने और पुण्य के भागीदार बनने का वादा किया जाता है। यह उपनिषद, श्री राधा जी के प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा देने का प्रयास करता है, और उनके दिव्य गुणों को समझने का मार्ग प्रशस्त करता है।

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