हिन्दू संस्कृति की श्रृंगारभरी रूपरेखा में संगीत को भक्ति का अद्वितीय संगीत माना जाता है। इसी भक्ति और आध्यात्मिक संबंध को अभिव्यक्त करने का एक शानदार रूप है “राम भजन”। यह एक ऐसा संगीत है जो दिल को छूने वाले शब्दों और सुरों के साथ भगवान राम की आराधना करने का एक माध्यम प्रदान करता है। आज इस लेख में हम आप को राम भजन लिरिक्स इन हिंदी (Ram Bhajan Lyrics In Hindi) में प्रस्तुत करने जा रहे है तो इस लेख पर बने रहिए.
![Ram Bhajan Lyrics In Hindi](https://hanumanchalisa.today/wp-content/uploads/2024/01/Ram-Bhajan-Lyrics-In-Hindi.webp)
- ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां लिरिक्स
- जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री लिरिक्स
- बाजे अयोध्या में बधाई देखो जन्मे प्रभु राम लिरिक्स
- भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी लिरिक्स
- राम दशरथ के घर जन्मे घराना लिरिक्स
- अइसन मनोहर मंगल मूरत
- चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास लिरिक्स
- सीता राम सीता राम सीता राम कहिये लिरिक्स
- राम से बड़ा राम का नाम भजन लिरिक्स
- अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे लिरिक्स
Table of Contents
राम भजन लिरिक्स इन हिंदी
1. ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां लिरिक्स
ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां
ठुमक चलत रामचंद्र
किलकि-किलकि उठत धाय
किलकि-किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां
ठुमक चलत… बाजत पैंजनियां
ठुमक चलत रामचंद्र
अंचल रज अंग झारि
अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि
विविध भांति सो दुलारि
तन मन धन वारि-वारि, तन मन धन वारि
तन मन धन वारि-वारि, कहत मृदु बचनियां
ठुमक चलत… बाजत पैंजनियां
ठुमक चलत रामचंद्र
विद्रुम से अरुण अधर
विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर-मधुर
बोलत मुख मधुर-मधुर
सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां
ठुमक चलत… बाजत पैंजनियां
ठुमक चलत रामचंद्र
तुलसीदास अति आनंद
तुलसीदास अति आनंद, देख के मुखारविंद
देख के मुखारविंद
रघुवर छबि के समान
रघुवर छबि के समान, रघुवर छबि बनियां
ठुमक चलत
ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां
ठुमक चलत रामचंद्र
- 2.जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री लिरिक्स
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री,
दो सबको ये पैगाम घर घर जाओ री,
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री,
कोशलेया रानी को सब दो बधाई,
आई रे आई घडी शुभ ये आई,
मिल कर चलो रघु धाम संग मेरे आओ री,
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री,
राम लला के दर्शन कर लो,
पग पंकज पे माथा धार लो,
पावन है इनका नाम पल पल ध्याओ रे,
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री,
दरस्थ के अंगना बजी शहनाई,
दुल्हन के जैसी अयोध्या सजाई,
खुशियों की है ये शाम दीप जलाओ री
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री,
3. बाजे अयोध्या में बधाई देखो जन्मे प्रभु राम लिरिक्स
बाजे अयोध्या में बधाई देखो जी देखो जन्मे प्रभु राम
भाग जागे रे अवध के रे छाई देखो मुखड़े पे सबके मुस्कान
खुशियों की बेला देखो केस आज आई रे
नाच रही झूमे देखो कौशल्या माई रे
करो नज़र उतराई गाओ ऋ गाओ सखियों मंगल गान
बांटो घर घर में मिठाई सब नाचो छेड़ो भाई आज नई तान
भाग जागे रे अवध के रे ………………..
ब्रह्मा विष्णु शिव देखो बलिहारी जाते हैं
देव ऋषि सारे फूल बरसाते हैं
नारद ने वीणा है बजाई देखो जी होगा सबका कल्याण
दशरथ फूले ना समाये रहे मोती रे लुटाये अब रोशन होगा नाम
भाग जागे रे अवध के रे ………………..
राम जी के रुप में नारायण जी ही आये हैं
धरम की रक्षा का प्राण लेके आये हैं
असुरों का नाश करने आये हैं बचाने साधु संतो का मान
अपनी ललना पे बलिहारी जाए करते सब प्रभु पे ही अभिमान
भाग जागे रे अवध के रे ………………….
4. भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी लिरिक्स
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥
।। दोहा।।
विप्र धेनु सुर संत हिट लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गोपार।।
सिया वर रामचंद्र की जय
5. राम दशरथ के घर जन्मे घराना लिरिक्स
राम दशरथ के घर जन्मे घराना हो तो ऐसा हो ||
लोक दर्शन को चल आये सुहाना हो तो ऐसा हो ||
यज्ञ के काम करने को मुनीश्वर ले गया वन में
उड़ाए शीश दैत्यन के निशाना हो तो ऐसा हो ||
धनुष को जायकर तोड़ा जनक की राजधानी में
भूप सब मन में शरमाये लजाना हो तो ऐसा हो ||
पिता की मानकर आज्ञा राम बन को चले जबही
न छोड़ा संग सीता ने जनाना हो तो ऐसा हो ||
सिया को ले गया रावण बनाकर वेश जोगी का
कराया नाश सब अपना दीवाना हो तो ऐसा हो ||
प्रीत सुग्रीव से करके गिराया बाण से बाली
दिलाई नार फिर उसकी याराना हो तो ऐसा हो ||
गया हनुमान सीता की खबर लेने को लंका में
जलाकर के नगर आया सियाना हो तो ऐसा हो ||
बांध सेतु समुंदर में उतारा पार सेना को
मिटाया वंश रावण का हराना हो तो ऐसा हो ||
राज्य देकर विभीषण को अयोध्या लौटकर आये
वो ब्रम्हानंद बल अपना दिखाना हो तो ऐसा हो ||
6. अइसन मनोहर मंगल मूरत
अइसन मनोहर मंगल मूरत सुहावन सुंदर सूरत हो
ये राजाजी ये करे ता रहलबा जरूरत मुहूरत खूबसूरत हो
हमारा जनात बबुआ जी एम होईहैं ना ना ललना डी एम होईहैं हो
ये ललना 3 हिंद के सितारा इ ता सी एम होईहैं ओसे उपरा पीएम होईहैं हो
होईहैं वाईस चांसलर यूनिवर्सिटी के मेयर लंदन सिटी के नु हो
ये ललना3 होम सेकेट्री गौरमेंट्री के ता हीरा अपना मिट्टी के नु हो
बबुआ हमार महाराज होईहैं राजाधिराज होईहैं हो
ये ललना धातु में हीरा पुखराज होईहैं सिरवा के ताज होईहैं हो
मुनिबाबा अइसन ज्ञानी होईहैं राजाजी अइसन दानी होईहैं हो
ये ललना अखिल भूमंडल राजधानी होईहैं ता प्रेयस खानदानी होई हैं हो
7. चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास लिरिक्स
चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास,
मेरे राम गए वनवास, मेरे लखन गए वनवास,
चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..
आगे आगे राम चलत है,
पीछे पीछे लखन चलत है,
बीच में चलत जानकी मात मेरे राम गए वनवास,
चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..
जंगल में वो भटकते फिरते,
कंदमूल से पेट को भरते,
रोवे भरत अवध में आज मेरे राम गए वनवास,
चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..
गंगा जी के तट पर जाते,
केवट सेवर नाव मांगते,
हमको जाना परली पार मेरे राम गए वनवास,
चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..
पंचवटी पर कुटी बनाई,
रावण ने वहां सिया चुराई,
बन बन ढूंढ रहे भगवान मेरे राम गए वनवास,
चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..
8. सीता राम सीता राम सीता राम कहिये लिरिक्स
सीता राम सीता राम सीताराम कहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ।
मुख में हो राम नाम राम सेवा हाथ में,
तू अकेला नाहिं प्यारे राम तेरे साथ में ।
विधि का विधान जान हानि लाभ सहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ॥
किया अभिमान तो फिर मान नहीं पायेगा,
होगा प्यारे वही जो श्री रामजी को भायेगा ।
फल आशा त्याग शुभ काम करते रहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ॥
ज़िन्दगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के,
महलों मे राखे चाहे झोंपड़ी मे वास दे ।
धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिये,
जाहि विधि राखे राम वाही विधि रहिये ॥
आशा एक रामजी से दूजी आशा छोड़ दे,
नाता एक रामजी से दूजे नाते तोड़ दे ।
साधु संग राम रंग अंग अंग रंगिये,
काम रस त्याग प्यारे राम रस पगिये ॥
9. राम से बड़ा राम का नाम भजन लिरिक्स
राम से बड़ा राम का नाम,
अंत में यही आएगा तेरे काम,
राम से बड़ा राम का नाम ॥
वो अभिमानी डूब जाएंगे,
जिनके मुख नहीं राम,
वो पत्थर भी तिर जाएंगे,
जिनपे लिखा है श्रीराम,
राम से बड़ा राम का नाम ॥
बिना सेतु के सागर को कभी,
लांघ सके ना राम,
लांघ गये हनुमान उसी को,
लेकर राम का नाम,
राम से बड़ा, राम का नाम ॥
नामी को तो चिन्ता हो रही,
नाम न हो बद नाम,
द्रोपदी ने जब पुकारा,
झट आए घनश्याम,
राम से बड़ा, राम का नाम ॥
राम नाम का सुमिरण कर ले,
कौड़ी लगे न दाम,
नाम की डोरी बंध करके ही,
आयेगे श्री राम,
राम से बड़ा, राम का नाम ॥
नत्थासिंह सुमिरण कर प्रभु का,
बन जा दास गुलाम,
राम नाम भजले सुबहा को,
शाम को सीताराम,
राम से बड़ा, राम का नाम ॥
राम से बड़ा राम का नाम,
अंत में यही आएगा तेरे काम,
राम से बड़ा, राम का नाम ॥
10. अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे लिरिक्स
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
पतितो को पावन करते कृपानिधि,
पतितो को पावन करते कृपानिधि,
किए पाप है इस सुयश के सहारे,
किए पाप है इस सुयश के सहारे,
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
हमारे लिए क्यों देर किए हो,
हमारे लिए क्यों देर किए हो,
गणिका अजामिल को पल भर मे तारे ,
गणिका अजामिल को पल भर मे तारे,
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
माना अगम है अपावन कुटिल है,
माना अगम है अपावन कुटिल है,
सबकुछ है लेकिन है भगवन तुम्हारे,
सबकुछ है लेकिन है भगवन तुम्हारे,
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से
मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से
मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से
इसे शुद्ध करने मेराजेश हारे
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥