श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स:- जी हां, आप उस नाम की बात कर रहे हैं, जिसे सुनते ही हर दिल में आत्मविश्वास जाग उठता है और सारे दुखों का अंत हो जाता है। वह नाम है “राम”। राम प्रेम के प्रतीक हैं जो हर दुखी इंसान के हृदय में आशा की किरणें जगाते हैं। उनका नाम जपने से मनुष्य को अद्भुत शांति और संतुष्टि का अनुभव होता है। राम नाम में ही संपूर्ण विश्व के लिए सुख-शांति की रहस्यमय शक्ति छिपी हुई है। इस नाम के मंत्र का जाप करने से ही सभी बुराइयों का नाश हो जाता है और व्यक्ति का अंतःकरण सदैव प्रसन्न और आनंदित रहता है।
जीवन में संघर्ष के समय Ram Ka Naam हमें साहस और आत्मविश्वास देता है, जिससे हम दुखों से उबरकर सफलता की ओर आगे बढ़ते हैं। इसलिए राम नाम का जाप करते रहें और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान पाएं। इस लेख मे जानेंगे सम्पूर्ण Shri Ram Chandra Kripalu Lyrics क्या है।
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श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स | Shri Ram Chandra Kripalu Lyrics
मर्यादापुरुषोत्तम Bhagwan Shree Ram के बारे में अभी भी अनगिनत गहराइयां जानना बाकी हैं। उनका जीवन हमें सच्ची नैतिकता, कर्तव्य और प्रेम का महत्व सिखाता है। उन्होंने अपने धर्म के लिए सभी व्यक्तिगत संबंधों को त्याग दिया और सच्ची मर्यादा के पालन में दृढ़ रहे। उनके जीवन की कहानी में हमें धैर्य, संयम और साहस की महत्वपूर्ण सीख मिलती है। उनका नाम सुनते ही हर मन में पवित्रता और शक्ति का भाव जाग उठता है। वह न केवल एक ऐतिहासिक व्यक्ति थे बल्कि एक महान आध्यात्मिक प्रतीक भी थे। इसलिए हमें Bhagwan Shree Ram के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
श्री राम स्तुति – श्री राम चंद्र कृपालु भजमन
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
भगवान श्री राम कौन थे | Who Was Lord Shri Ram
भगवान श्री राम जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जिन्हें श्री राम और श्री रामचन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। उनके जन्म का वर्णन रामायण में मिलता है, जहां चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था, जिससे उनके चार पुत्र पैदा हुए। श्रीराम का जन्म अयोध्या में माता कौशल्या की कोख से हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने महाकाव्य रामचरित्रमानस में अपने जीवन को भक्तिमय रूप में प्रस्तुत किया है। इसके अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचना की गई है, जो काफी प्रसिद्ध हैं। इन सभी ग्रंथों में भगवान श्री राम की लीलाओं, धर्म के प्रचार-प्रसार और नैतिकता का संदेश प्रस्तुत किया गया है।