आज बिरज में होली रे रसिया | होली के रसिया लिरिक्स

होली के रसिया लिरिक्स:- होली का त्योहार आते ही हैं बिरज की धरती पर, और उसकी धूम और रंग-बिरंगी खुशियाँ आसमान में उड़ान भरती हैं। इस पवित्र उत्सव के मौके पर, बृज के नंदलाल ने हमेशा के लिए Holi को अनोखा बना दिया है। “आज बिरज में होली रे रसिया” जैसे रंगों के बिना, Holi की रंगीन धूम अधूरी है। ऐसे में, इन कलाकारों की मधुर ध्वनि सुनाई दी, आप अपने जीवन की हर रंगबाज़ी में शामिल हो सकते हैं। यह गीत आपको अपने कृष्ण Bhagwan के आसा-पास की अनुभूति प्रदान करते हैं, और Holi के इस त्योहार को और भी आनंदमय बनाते हैं।

Holi Ke Rasiya Lyrics

होली के रसिया लिरिक्स | Holi Ke Rasiya Lyrics

यह गीत “Aaj Biraj Mein Holi Re Rasiya” के माध्यम से हम पारंपरिक Holi त्योहार की खुशी और उत्साह का अनुभव करते हैं। ये शब्द भक्ति और उत्सव की भावना को व्यक्त करते हैं, जिसमें लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं और एक-दूसरे के साथ Holi का खेल खेलते हैं। इस गीत में प्रेमिका और राधा की प्रेम कहानी को सुंदरता से व्यक्त किया गया है, जो हमें भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति का महत्वपूर्ण पाठ सिखाता है। इससे Holi का अनोखा अनुभव और भी ज्यादा रंगीन और गहरा हो जाता है।

आज बिरज में होली रे रसिया | Aaj Biraj Mein Holi Re Rasiya

आज बिरज में Holi रे रसिया।

होली रे होली रे बरजोरी रे रसिया॥

अपने अपने घर से निकसी,

अपने अपने घर से निकसी,

कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।

आज बिरज में Holi रे रसिया

आज बिरज में होली रे रसिया।

Holi रे रसिया बरजोरी रे रसिया॥

कौन गावं के कुंवर कन्हिया,

कौन गावं के कुंवर कन्हिया,

कौन गावं राधा गोरी रे रसिया।

आज बिरज में होली रे रसिया॥

नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,

नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,

बरसाने की राधा गोरी रे रसिया

आज बिरज में Holi रे रसिया।

उडत गुलाल लाल भए बादल,

मारत भर भर झोरी रे रसिया।

आज बिरज में Holi रे रसिया।

कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,

राधा के हाथ कमोरी रे रसिया ।

आज बिरज में Holi रे रसिया।

चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,

चिर जीवो यह जोड़ी रे रसिया ।

आज बिरज में होली रे रसिया

आज बिरज में Holi रे रसिया।

होली रे रसिया बरजोरी रे रसिया॥

आज बिरज में Holi रे रसिया ।

Holi रे होली रे बरजोरी रे रसिया ॥

कान्हा पिचकारी मत मार मेरे घर सास लडेगी रे | Kanha Pichkari Mat Maar Mere Ghar Saas Ladegi Re

कान्हा पिचकारी मत मार मेरे घर सास लडेगी रे।
सास लडेगी रे मेरे घर ननद लडेगी रे।

सास डुकरिया मेरी बडी खोटी, गारी दे ने देगी मोहे रोटी,
दोरानी जेठानी मेरी जनम की बेरन, सुबहा करेगी रे। कान्हा पिचकारी मत मार… ॥१॥

जा जा झूठ पिया सों बोले, एक की चार चार की सोलह,
ननद बडी बदमास, पिया के कान भरेगी रे। कान्हा पिचकारी मत मार… ॥२॥

कछु न बिगरे श्याम तिहारो, मोको होयगो देस निकारो,
ब्रज की नारी दे दे कर मेरी हँसी करेगी रे। कान्हा पिचकारी मत मार… ॥३॥

हा हा खाऊं पडू तेरे पैयां, डारो श्याम मती गलबैया,
घासीराम मोतिन की माला टूट पडेगी रे । कान्हा पिचकारी मत मार… ॥४॥

श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है

श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है।
सिंगार बसंती है …हो सिंगार बसंती है।

मोर मुकुट की लटक बसंती, चन्द्र कला की चटक बसंती,
मुख मुरली की मटक बंसती, सिर पे पेंच श्रवण कुंडल छबि लाल बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥१॥

माथे चन्दन लग्यो बसंती, कटि पीतांबर कस्यो बसंती,
मेरे मन मोहन बस्यो बसंती, गुंजा माल गले सोहे फूलन हार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥२॥

कनक कडुला हस्त बसंती, चले चाल अलमस्त बसंती,
पहर रहे सब वस्त्र बसंती, रुनक झुनक पग नूपुर की झनकार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥३॥

संग ग्वालन को टोल बसंती, बजे चंग ढफ ढोल बसंती,
बोल रहे है बोल बसंती, सब सखियन में राधे की सरकार बसंती है ।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥४॥

परम प्रेम परसाद बसंती, लगे चसीलो स्वाद बसंती,
ह्वे रही सब मरजाद बसंती, घासीराम नाम की झलमल झार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥५॥

आज बिरज में होली रे रसिया लिरिक्स

होरी खेली न जाय | Hori Kheli Na Jaye

नैनन में पिचकारी दई, मोहे गारी दई, होरी खेली न जाय।

क्यों रे लंगर लंगराई मोसे कीनी, केसर कीच कपोलन दीनी
लिये गुलाल ठाडो ठाडो मुसकाय, होरी खेली न जाय ॥१॥

नेक न कान करत काहू की, नजर बचावे भैया बलदाऊ की
पनघट से घर लों बतराय, होरी खेली ने जाय ॥२॥

ओचक कुचन कुमकुमा मारे, रंग सुरंग सीस पे डारे
यह ऊधम सुन सास रिसाय. होरी खेली न जाय॥३॥

होरी के दिनन मोसे दूनो दूनो अटके, सालीगराम कौन जाय हटके
अंग चुपट हँसी हा हा खाय, होरी खेली न जाय ॥४॥

वृंदावन खेल रच्यो भारी | Vrindavan Khel Rachyo Bhari

वृंदावन खेल रच्यो भारी वृंदावन ।
वृंदावन की गोरी नारी टूटी हार फटे सारी ॥

ब्रज की होरी ब्रज की गारी ब्रज की श्री राधा प्यारी ॥
पुरुषोत्तम प्रभु होरी खेले तन मन धन सरबस वारी ॥

बडे भाग से फागुन आयो री | Bade Bhag Se Fagun Aayo Re

होरी खेलूँगी श्याम संग जाय,
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥१॥

फागुन आयो…फागुन आयो…फागुन आयो री
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री

वो भिजवे मेरी सुरंग चुनरिया,
मैं भिजवूं वाकी पाग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥२॥

चोवा चंदन और अरगजा,
रंग की पडत फुहार ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥३॥

लाज निगोडी रहे चाहे जावे,
मेरो हियडो भर्यो अनुराग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥४॥

आनंद घन जेसो सुघर स्याम सों,
मेरो रहियो भाग सुहाग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥५॥

ये भी पढ़े :-

होली धमाल भजन लिरिक्सहोली पर निबंध 200 शब्दों में
होली क्यों मनाया जाता हैहोली पर निबंध

Related New Post

Leave a Comment