राजस्थान में होली कब है:- राजस्थान में होली अनोखे तरीके से मनाई जाती है, जो रंग-बिरंगे त्योहार के साथ-साथ स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं को भी व्यक्त करती है। होली हार-जीत, भाईचारे और खुशियों को आपस में बांटने का अवसर है, जिसे Rajasthan के लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली के पहले दिन यानी फागुन मास की पूर्णिमा को होलिका Dahan का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग असत्य और अधर्म पर जीत का प्रतीक बनकर होलिका दहन करते हैं।
इसके बाद दूसरे दिन लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर Holi मनाते हैं, जिससे होली मनाने का सामूहिक उत्साह और मिलनसार माहौल बढ़ जाता है। इस तरह Rajasthan में Holi का उत्सव रोमांटिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि का प्रतीक बन जाता है, जो लोगों को एक साथ बांधता है।
Table of Contents
राजस्थान में होली कब है | Rajasthan Me Holi Kab Hai
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका Dahan 24 मार्च को प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार भद्रा सुबह 9:55 बजे से शुरू होकर रात 11:13 बजे तक रहेगी और इसके बाद आधी रात से 12:33 बजे के बीच होलिका दहन होगा. इस बार होलिका Dahan का आयोजन विजय के प्रति हमारी पारंपरिक श्रद्धांजलि के साथ-साथ हमारी निष्ठा को भी दर्शाता है। इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के माध्यम से, लोग Holi के उत्सव को सार्थक बनाने के लिए समृद्धि, शांति और समर्पण की भावना से एक-दूसरे के साथ आते हैं।
दिनांक | 24 मार्च 2024 |
वार | रविवार |
भद्रा समय | प्रातः 9:55 से रात्रि 11:13 मिनट तक |
दहन समय | 11:13 मिनट से अर्धरात्रि 12:33 तक |
होली दहन पुजा विधि | Holi Dahan Puja Vidhi
- होलिका Dahanकी पूजा के लिए पूजा करने वालों को सबसे पहले होलिका के पास जाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- पूजा सामग्री में जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, गुलाल, स्नान और नई फसल (गेहूं और चने की पकी बालियां) शामिल होनी चाहिए।
- होलिका के पास गाय के गोबर से बनी ढाल रखनी चाहिए।
- मौली, ढाल और गुलाल से रंगी खिलौनों की चार अलग-अलग मालाएं तैयार करें।
- पहली माला पितरों के लिए, दूसरी पवनसुत हनुमान जी के लिए, तीसरी मां शीतला के लिए और चौथी माला परिवार के नाम पर रखें।
- होलिका की परिक्रमा करते समय उसके चारों ओर कच्चा सूत लपेटें और पूजा के बाद जल अर्पित करें।
- अनाज के दाने डालकर पूजा समाप्त करें, जिससे होलिका Dahan का उत्सव पूरा हो जाता है।
होली दहन के उपाय | Holi Dahan Ke Upay
- अगर आपके घर में बहुत झगड़े होते हैं या आप अपने घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना चाहते हैं तो होलिका की राख की एक पोटली बना लें।
- किसी भी शुभ मुहूर्त में इस पोटली को घर के अलग-अलग हिस्सों में रखें, जिससे घर में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी।
- अगर घर के किसी सदस्य को बुरी नजर लग गई है या वह हमेशा बीमार रहता है तो होलिका की राख को कपड़े में बांधकर उस व्यक्ति के सिर के चारों ओर 7 बार घुमाएं और फिर राख को मिट्टी में दबा दें।
- आर्थिक समस्या दूर करने के लिए होलिका की राख को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख दें।
- किसी भी काम को शुरू करने से पहले राख का तिलक लगाएं, जिससे सारे काम पूरे होंगे और जीवन में आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहेगी।
राजस्थान में होली का महत्व | Holi Dahan Ka Mahtav
होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने और समुद्र की समृद्धि का आशीर्वाद देने के रूप में मनाया जाता है। यह एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जो रंग, मिठाई और उत्साह के साथ मनाया जाता है। Holi का इतिहास और महत्वपूर्ण प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की उपस्थिति और होलिका के निवास की कथा शामिल है। होली के रंग का अहम हिस्सा है, जो सभी को एक-दूसरे के साथ भाईचारे और प्रेम के शांत मोहरे में देता है। लोग एक दूसरे पर रंग बाँटते हैं, मिठाई बाँटते हैं और साथ में हँसी-खुशी बनाते हैं।
Holi का त्योहार बुराई और पाप के उपहार की जीत का संकेत है, जो विभिन्न त्योहार-पूजाओं के साथ जुड़कर आता है। इस अवसर पर लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियों का आदान-प्रदान करना चाहते हैं, जिससे सामाजिक एकता और प्रेम की भावना को बढ़ावा मिलता है। Holi Dahan के बाद Holi के दिन को “धुलेंडी” कहा जाता है, जिसमें लोग रंग-गुलाल लगाते हैं और दूसरे के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं। इस मान्यता के माध्यम से, Holi न केवल भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह एक सामाजिक और आध्यात्मिक मिलन का स्तर भी ऊंचा उठाती है।